तेजस्वी यादव को चुना गया विधायक दल का नेता, महज दो सीटों से बची कुर्सी, बैठक बीच में छोड़कर चले गए लालू और राबड़ी
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 243 में से महज 25 सीटें जीतीं. मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए किसी भी पार्टी के पार 10 फीसदी विधायक होने चाहिए.
बिहार में नई सरकार के गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं. इसी बीच तेजस्वी यादव को आरजेडी विधायक दल का नेता चुना गया है. बैठक में सभी नवनिर्वाचित विधायकों ने तेजस्वी को विधायक दल का नेता चुना. साथ ही इस बैठक में महागठबंधन की हार की समीक्षा भी की गई.
हालांकि बैठक के दौरान एक अजीव वाकैया ये घटा जिसने सभी को हैरान कर दिया. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी बैठक को बीच में छोड़कर ही वहां से चले गये. उनके इस रुख से ऐसा लगा मानो कि वे तेजस्वी यादव को बिधायक दल का नेता बनाए जाने से खुश नहीं हैं.
बैठक में की गई हार के कारणों की समीक्षा
बता दें कि सोमवार को आरजेडी की समीक्षा बैठक हुई थी. इस बैठक में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, बाहुबली सूरजभान सिंह, भाई वीरेंद्र समेत कई विधायक व नेता शामिल हुए. हालांकि राबड़ी और लालू प्रसाद बैठक के खत्म होने से पहले ही वहां से उठकर चले गए.
महज दो सीट से बची तेजस्वी की कुर्सी
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 243 में से महज 25 सीटें जीतीं. मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए किसी भी पार्टी के पार 10 फीसदी विधायक होने चाहिए. इस केस में यहां 24 सीटें चाहिए थीं अगर इससे एक भी सीट कम रह जाती तो बिहार में इस बार कोई भी नेता प्रतिपक्ष नहीं होता. बता दें कि नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है.
गरीबों की आवाज बनी रहेगी पार्टी
बैठक के बाद आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने बताया कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजप्रताप को चुना गया. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी संसद से लेकर सड़क तक गरीबों की आवाज बनी रहेगी.
ईवीएम हैक बना हार की वजह
बैठक के दौरान कुछ विधायकों ने ईवीएम हैक को आरजेडी और महागठबंधन की हार का कारण बताया. सभी ने कहा कि महागठबंधन ही हर तरफ जमीन पर दिखा, एनडीए जमीन पर कहीं भी नजर नहीं आ रही थी. फिर भी महागठबंधन की हार चुनावों में धांधल के संकेत देता है.