बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर एनडीए ने अपनी रणनीति लगभग तय कर ली है. रविवार को हुई अहम बैठक में भाजपा और जदयू के बीच मंत्री पदों के बंटवारे पर सहमति बन गई. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे, जबकि भाजपा का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व पहले से अधिक होगा.
सहयोगी दलों को भी उनके प्रदर्शन के मुताबिक शामिल किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. यह पूरा फार्मूला हाल ही में घोषित चुनाव नतीजों और सीटों के अनुपात के आधार पर तय हुआ है.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि नई सरकार में भाजपा को 15–16 मंत्री पद मिल सकते हैं. पार्टी ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है और 89 सीटें जीतकर सबसे बड़ी घटक दल के रूप में उभरी है. अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय इस तर्क के साथ लिया गया कि भाजपा के बढ़ते जनसमर्थन को सरकार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.
जदयू को नई सरकार में लगभग 14 मंत्री पद मिलने की संभावना जताई गई है. पार्टी ने 85 सीटें जीतीं और गठबंधन की मजबूती में केंद्रीय भूमिका निभाई. हालांकि सीटें भाजपा से कम रहीं, लेकिन मुख्यमंत्री का पद जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के पास ही रहेगा. यह निर्णय गठबंधन की स्थिरता और पिछले कार्यकालों में बनी सामंजस्यपूर्ण कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
एलजेपी (राम विलास) को तीन मंत्री पद मिलने की संभावना है, क्योंकि उसने 19 सीटों पर जीत हासिल की. जीतन राम मांझी की हम (से.) को एक पद और उपेंद्र कुशवाहा की रालमो को भी एक पद दिया जा सकता है. बैठक में यह भी सहमति बनी कि 6 विधायकों पर एक मंत्री पद का फार्मूला अपनाया जाएगा, जिससे साझा प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहे.
सूत्रों के अनुसार नई सरकार का शपथग्रहण 19 या 20 नवंबर को हो सकता है. जैसे-जैसे कैबिनेट गठन की तस्वीर साफ हो रही है, राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है. एनडीए इस समारोह को शक्ति-प्रदर्शन के रूप में भी देख रहा है, क्योंकि गठबंधन ने कुल 202 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया.
इन चुनावों में विपक्ष सिर्फ 35 सीटों के आसपास सिमट गया, जबकि भाजपा लगभग 95 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ सबसे आगे रही. कांग्रेस ने हार के बाद चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए मतदाता सूची के ‘जल्दबाजी में किए गए’ संशोधन को जिम्मेदार बताया. वहीं भाजपा का दावा है कि जनता ने जाति-धर्म की राजनीति को नकारते हुए एनडीए को निर्णायक जनादेश दिया है और यह नतीजा अगले वर्ष पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु चुनावों में भी प्रभाव डालेगा.