जनसुराज ने पंचायत से प्रदेश स्तर तक के संगठन को किया भंग, प्रशांत किशोर का बड़ा फैसला
जनसुराज पार्टी ने पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक अपने संगठन को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है. अगले डेढ़ माह में नया संगठन तैयार किया जाएगा. वरिष्ठ नेताओं को प्रमंडलों की जिम्मेदारी सौंपी गई और हार के कारणों का विश्लेषण होगा.
पटना: प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने बड़ा संगठनात्मक कदम उठाते हुए पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर तक के तमाम संगठनात्मक ढांचों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है. यह फैसला शनिवार को शेखपुरा हाउस में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में लिया गया, जिसमें प्रशांत किशोर स्वयं मौजूद थे. बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने की.
हालांकि, पार्टी ने स्पष्ट किया कि नए संगठन के गठन तक भंग किए गए सभी समितियां अपना काम पूर्व की तरह करती रहेंगी. पार्टी का कहना है कि अगले डेढ़ महीने में संगठन को पूरी तरह से नए सिरे से तैयार किया जाएगा.
संगठन पुनर्गठन की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं को
पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को राज्य के सभी 12 प्रमंडलों की जिम्मेदारी सौंपी है. ये नेता अपने-अपने प्रमंडलों के जिलों में जाकर प्रभावी और सक्रिय संगठनात्मक ढांचा तैयार करेंगे. इसके अलावा, यह टीम विस्तृत चर्चा कर चुनावी हार की वजहों का आकलन करेगी और अनुशासनहीनता या भीतरघात में शामिल नेताओं के नामों की रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंपेगी.
21 दिसंबर को होगी अहम बैठक
पार्टी के प्रवक्ता सैयद मसीहउद्दीन ने बताया कि 21 दिसंबर को पटना में पार्टी की सामान्य परिषद की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में शीर्ष नेतृत्व जिले के प्रमुख नेताओं से चुनाव और संगठन से जुड़े अनुभवों और चुनौतियों को विस्तार से सुनेगा, ताकि नए संगठन को और मजबूत बनाया जा सके.
बैठक में कई बड़े नेता हुए शामिल
बैठक में कई दिग्गज चेहरे मौजूद रहे, जिनमें पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस.के. सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता वाई.वी. गिरि, पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद सिंह, एन.पी. मंडल, ललन यादव, ए.के. द्विवेदी, पूर्व आईपीएस आर.के. मिश्रा, जितेन्द्र मिश्रा, विनोद कुमार चौधरी, पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना और पूर्व विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी शामिल थे.
चुनाव में जनसुराज पार्टी का खराब प्रदर्शन
बिहार विधानसभा चुनाव में जनसुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था. पार्टी एक भी सीट जीतने में असफल रही और उसके लगभग 99 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. कुल मिलाकर पार्टी को करीब 3.5 फीसदी वोट शेयर मिला. पार्टी अब इस हार के बाद नए सिरे से संगठन मजबूत करने और नए ढांचे के साथ आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने की तैयारी में जुट गई है.
और पढ़ें
- आखिर 20 साल बाद नीतीश ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला? जानें BJP के सम्राट चौधरी को गृह विभाग देने के पीछे का राज
- सीएम नीतीश कुमार की एक झटके में पावर हुई कम, जानें होम मिनिस्ट्री होने से कैसे थी 'बाली' जैसी शक्ति
- सम्राट चौधरी को मिला गृह मंत्रालय, 20 साल में पहली बार CM नीतीश कुमार के हाथ से छिटका महत्वपूर्ण विभाग