Bihar Fake Teacher Case: गजब लापरवाही! मरने के बाद भी नहीं मिला चैन, बिहार में मृत शिक्षक पर दर्ज हुआ केस
बिहार के बांका जिले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो यानी CBI ने मृत शिक्षक निरंजन कुमार के खिलाफ फर्जी प्रमाण-पत्र से नौकरी करने का मामला दर्ज कर दिया. निरंजन की मौत 2021 में कोरोना के दौरान हो गई थी और परिजनों ने मृत्यु प्रमाण-पत्र पहले ही शिक्षा विभाग को सौंप दिया था. जांच में एक अन्य शिक्षिका पल्लवी कुमारी का प्रमाण-पत्र भी फर्जी पाया गया, जो 2018 से लापता हैं.
Bihar Fake Teacher Case: बिहार के बांका जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां निगरानी अन्वेषण ब्यूरो यानी CBI ने उस शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसकी मृत्यु चार साल पहले 2021 में कोरोना काल में हो चुकी है. मामला मिर्जापुर के सोनडीहा गांव का है, जहां के प्राथमिक विद्यालय मेहरपुर के शिक्षक निरंजन कुमार पर फर्जी शैक्षणिक प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप लगा है.
निरंजन कुमार की मृत्यु 2021 में कोविड संक्रमण के दौरान हो गई थी. जिसके बाद उनके परिजनों ने उनके मृत्यु प्रमाण-पत्र की प्रतियां प्रखंड कार्यालय और जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय दोनों को जमा कराई थीं. इसके बावजूद 20 अगस्त 2025 को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो यानी CBI के पुलिस निरीक्षक लाल मुहम्मद ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी. इस घटना ने शिक्षा विभाग और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
जांच में आया सामने
जांच में यह भी सामने आया कि भागलपुर जिले की शिक्षिका पल्लवी कुमारी का प्रमाण-पत्र भी फर्जी है. पल्लवी प्राथमिक विद्यालय जगतापुर में पदस्थापित थीं और वर्ष 2018 से लापता बताई जा रही हैं. दोनों ही मामलों ने शिक्षा विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
कार्रवाई को लेकर गहरा आक्रोश
निरंजन कुमार के परिजनों में इस कार्रवाई को लेकर गहरा आक्रोश है. उनकी पत्नी खुशबू कुमारी, बड़े भाई और पूर्व प्रखंड प्रमुख जितेंद्र यादव तथा छोटे भाई मनीष कुमार ने कहा कि यह कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है और मृतक की आत्मा का अपमान है. वहां के स्थानीय थानाध्यक्ष मंटू कुमार का कहना है कि शिक्षक का मृत्यु प्रमाणपत्र 22 अगस्त 2025 को उनके परिजनों ने दिया है और इसकी जानकारी निगरानी विभाग व वरीय अधिकारियों को भेजी जा रही है.
शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर
वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के डीपीओ स्थापना संजय कुमार यादव ने भी स्वीकार किया कि निरंजन की मृत्यु कोरोना काल में ही हो चुकी थी. इस मामले ने बिहार में शिक्षा विभाग और निगरानी तंत्र की लापरवाही को उजागर कर दिया है. मृतक शिक्षक पर केस दर्ज करना न केवल प्रशासनिक चूक है बल्कि परिजनों के लिए भी अपमानजनक साबित हुआ है.
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