सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बिहार में चल रहे स्पेशल इन्टेन्सिव रिवीजन यानी SIR के तहत मतदाता सूची की प्रक्रिया को लेकर सुनवाई हुई, लेकिन अदालत ने फिलहाल किसी तरह की रोक नहीं लगाई है. अदालत ने वोटर लिस्ट के मसौदे के प्रकाशन पर कोई स्थगन आदेश न देते हुए सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट अब मंगलवार को तय करेगा कि इस संवेदनशील मामले पर अगली विस्तृत बहस कब होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनवाई के दौरान अदालत ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे, विशेष रूप से यह कि वोटर पहचान के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को स्वीकार किया जाएगा या नहीं. कोर्ट ने कहा कि दुनिया का कोई भी दस्तावेज पूरी तरह फर्जी से मुक्त नहीं है. इसलिए केवल इस आधार पर किसी दस्तावेज को अविश्वसनीय नहीं ठहराया जा सकता.
Supreme Court again asks Election Commission to consider including Aadhaar card and electoral photo identity card as admissible documents to prove identity of voters during Special Intensive Revision (SIR) of electoral rolls being undertaken in Bihar.
— ANI (@ANI) July 28, 2025
Supreme Court asks parties…
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा कि वह वोटर आईडी को तो पहले से ही स्वीकार कर रहा है, और आधार नंबर भी फॉर्म में मांगा जा रहा है लेकिन राशन कार्ड पर उसे आपत्ति है, क्योंकि इसे आसानी से फर्जी बनाया जा सकता है. आयोग ने अदालत को यह भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है.
इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने चुनाव आयोग को आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी के उपयोग पर स्पष्ट नीति लाने को कहा था. सोमवार को संसद परिसर में प्रियंका गांधी समेत विपक्षी सांसदों ने विरोध प्रदर्शन किया, जबकि कुछ दिन पहले बिहार में महागठबंधन ने बंद भी बुलाया था.
चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए रविवार शाम को आंकड़े जारी किए. आयोग के अनुसार, बिहार के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 91.69% यानी 7.24 करोड़ ने गणना फॉर्म भरकर जमा कर दिया है. इस प्रक्रिया में 22 लाख मृतक वोटर, 36 लाख दूसरे राज्यों में स्थानांतरित और 7 लाख डुप्लीकेट नाम पाए गए हैं. आयोग ने इसे सफल और पारदर्शी अभ्यास बताया है. ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को प्रकाशित होगी, जिसके बाद दावे और आपत्तियों के माध्यम से सुधार संभव होगा.