Women's World Cup 2025: ऋचा घोष ने रचा इतिहास, वनडे में ये कारनामा करने वाली तीसरी महिला खिलाड़ी बनीं
Richa Ghosh: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋचा घोष ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली है. ऋचा घोष ने इस मैच में भले ही रिकॉर्ड बनाया हो, लेकिन वह शतक से चूक गईं और 77 गेंदों पर सिर्फ 94 रन बनाकर आउट हो गईं. अपनी पारी में ऋचा घोष ने 4 छक्के और 11 चौके लगाए.
Women's World Cup 2025: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋचा घोष ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली है. ऋचा अब वनडे इंटरनेशनल (WODI) क्रिकेट में सबसे कम गेंदों में 1000 रन पूरे करने वाली तीसरी महिला खिलाड़ी बन गई हैं. यह उपलब्धि उन्होंने महज 1010 गेंदों में हासिल की, जिससे वह विश्व क्रिकेट की दिग्गज बल्लेबाजों की सूची में शामिल हो गई हैं. ऋचा घोष ने इस मैच में भले ही रिकॉर्ड बनाया हो, लेकिन वह शतक से चूक गईं और 77 गेंदों पर सिर्फ 94 रन बनाकर आउट हो गईं. अपनी पारी में ऋचा घोष ने 4 छक्के और 11 चौके लगाए.
इस रिकॉर्ड सूची में सबसे आगे हैं ऑस्ट्रेलिया की ऐश गार्डनर, जिन्होंने सिर्फ 917 गेंदों में 1000 रन बनाए थे. दूसरे स्थान पर हैं इंग्लैंड की नैट स्काइवर-ब्रंट, जिन्होंने 943 गेंदों में यह मुकाम हासिल किया था. वहीं, ऋचा घोष ने इन दोनों के बाद 1010 गेंदों में यह मील का पत्थर छुआ है. ऋचा के ठीक पीछे ऑस्ट्रेलिया की मेग लैनिंग (1011 गेंद) और एलिसा हीली (1022 गेंद) हैं.
सबसे बड़ी खासियत
ऋचा घोष की यह उपलब्धि भारतीय महिला क्रिकेट के लिए बेहद गर्व का क्षण है. 21 वर्षीय यह खिलाड़ी अपने आक्रामक और निडर अंदाज के लिए जानी जाती हैं. टी20 फॉर्मेट में अपनी तेज़ बल्लेबाज़ी से उन्होंने पहले ही पहचान बनाई थी, और अब वनडे क्रिकेट में भी वह भारतीय टीम के लिए स्थिरता और ताकत दोनों दे रही हैं.
ऋचा की बल्लेबाज़ी की सबसे बड़ी खासियत उनकी स्ट्राइक रेट और शॉट सिलेक्शन है. उन्होंने अपने छोटे से करियर में कई महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं, जिनमें अंत तक टिककर टीम को जीत की राह दिखाने की क्षमता दिखाई दी है. विकेटकीपिंग में भी उन्होंने कई अहम मौकों पर शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे वह भारतीय टीम की प्रमुख खिलाड़ियों में शुमार हो गई हैं.
निरंतरता का प्रतीक
विशेषज्ञों का मानना है कि ऋचा घोष का यह प्रदर्शन आने वाले समय में भारतीय महिला क्रिकेट को नई दिशा देगा. उनकी यह उपलब्धि सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और निरंतरता का प्रतीक है. युवा खिलाड़ियों के लिए ऋचा अब प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं. यह दिखाते हुए कि मेहनत, आत्मविश्वास और आक्रामक रवैया मिलकर किसी भी खिलाड़ी को विश्वस्तर पर पहचान दिला सकता है.
ऋचा घोष का यह रिकॉर्ड भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास में लंबे समय तक याद किया जाएगा. क्योंकि यह सिर्फ 1000 रन नहीं, बल्कि भारत की नई क्रिकेट सोच और युवा जोश की कहानी है.
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