पेरिस ओलंपिक में भारत को पहला मेडल मिल गया. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया. मुकाबले के दौरान मनु भाकर कॉन्फिडेंट दिखी. उनपर दवबा नहीं झलक रहा था. रविवार पुरे दिन उनका बॉडी लैंगवेज पॉजिटीव था. जब एक हाई प्रेशर गेम होता है तो खिलाड़ियों पर दवाब बढ़ता है. एक बड़े फाइनल में मनु शांत दिखीं. इसका नतीजा 2024 पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 221.7 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीतकर उन्होंने भारत का खाता खोला.
मनु ने सिर्फ एक बार थोड़ी सी भावना दिखाई, जब 22वें शॉट में 10.3 का स्कोर करने के बावजूद किम येजी ने 10.5 का स्कोर किया और 0.1 से आगे निकल गईं. मनु भाकर को कांस्य से ही संतोष करना पड़ा. मनु ने एक पल के लिए मुस्कुराहट बिखेरी और पदक सुरक्षित रखते हुए अपनी कुर्सी पर वापस चली गईं. कोरियाई ओ ये जिन (243.2) और येजी (241.3) ने स्वर्ण और रजत पदक जीता, जिसमें से ओ ये जिन ने ओलंपिक रिकॉर्ड स्कोर बनाया.
शनिवार को क्वालीफिकेशन की शुरुआत से लेकर रविवार को कांस्य पदक जीतने तक मनु का मानसिक संतुलन स्थिर था. क्वालीफिकेशन राउंड के उन्होंने ज्यादा जश्न नहीं मनाया. मनु ने कहा, कल रात, जैसे ही आज के विचार मेरे दिमाग में आए, मैंने सोचा, 'देखा जाएगा'.
मनु भाकर की प्रतिभा पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन पिछले कुछ टूर्नामेंट्स में क्वालिफिकेशन राउंड में बेहतर करने के बाद फाइनल में कही वो खो जाती थीं. पिछले साल हांग्जो में हुए एशियाई खेलों में, उन्होंने विश्व रिकॉर्ड क्वालीफाइंग स्कोर के साथ क्वालीफिकेशन में शीर्ष स्थान हासिल किया था और फाइनल में हार गईं. बड़े फाइनल के दबाव से निपटने की उनकी मानसिकता पर सवाल उठाए गए थे.
मनु ने कहा, अर्जुन, कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता मत करो. यह बात कल रात से मेरे दिमाग में चल रही थी. मैंने खुद से कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं इसे संभाल लूंगा. मैं सुबह उठकर यह नहीं सोचता था कि मैं पदक जीतूंगा या नहीं. लेकिन मैं एक बात पर अड़ी हुई थी कि मुझे कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए: अब नहीं हो रहा है यार.
टोक्यो खेलों की असफलता ने उस समय की किशोरी और अब 22 वर्षीया को बहुत कुछ सिखाया है. बहुत ज़्यादा परिणाम-उन्मुख न होने, अपने व्यक्तित्व पर अड़े रहने और सिर्फ प्रतियोगिता के लिए खुद को तैयार न करने के बारे में. हरियाणा की यह युवा खिलाड़ी मानती है कि उसके बाद से वह बहुत ज़्यादा आध्यात्मिक भी हो गई है. उन्होंने कहा, मैं अब इस बात पर बहुत विश्वास करती हूं कि कोई ऊर्जा है जो हमारा मार्गदर्शन और सुरक्षा कर रही है. और हमारे चारों ओर एक आभा है जो उस ऊर्जा को महसूस करती है.
टोक्यो में मनु भाकर चूक गई थीं. उस वक्त नंबर वन शूटर रहीं मनु भाकर क्वालिफाइंग राउंड में थीं. मनु को 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे. तभी उनकी पिस्टल खराब हो गई. 20 मिनट तक वे निशाना नहीं लगा पाईं. पिस्टल ठीक हुई, तब भी मनु सिर्फ 14 शॉट लगा पाईं और फाइनल की रेस से बाहर हो गईं. अपने पहले ओलंपिक से लेकर दूसरे ओलंपिक तक, मनु में काफी बदलाव हुए हैं. उन्होंने अपने भावनाओं पर कंट्रोल किया है. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि अगर आप कुछ नहीं जीत सकते, तो आपको उससे सबक लेना चाहिए, जिससे आगे चलकर आप बेहतर बनेंगे. अब, मैं इसकी कीमत समझती हूं और समझती हूं कि यहां तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत और प्रयास करना पड़ता है.