जिंदगी ने दिया धोखा, तो क्रिकेट को ही बना दिया 'लाइफ', मोहम्मद शमी हैं आज अपनी दुनिया के बादशाह

Mohammed Shami in ODI World Cup 2023: मोहम्मद शमी वो गेंदबाज हैं जिसने चोटों, घरेलू हिंसा और मैच फिक्सिंग के आरोपों को परे कर वर्ल्ड कप में दिखाया दम. आज वे वर्ल्ड कप 2023 के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं. वह गेंदबाज जिसने शुरुआती दौर में बैंच गर्म की और बाद में अपनी गेंदों की आग से सभी रुकावटों को खाक कर दिया.

Imran Khan claims

World Cup 2023: मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) ने 2023 विश्व कप में भारत के अभियान में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है. शानदार सीम पोजीशन वाले गेंदबाज ने मात्र छह मैचों में 23 विकेट लिए हैं. दाएं हाथ के गेंदबाज द्वारा लिए इन 23 विकेटों में भारत की सफलता की असली कहानी छुपी है. जबसे शमी प्लेइंग 11 में आए हैं तब भारत एक अजेय ताकत की तरह दिखाई दे रहा है.

mohammed shami (1)-1
 

सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ रिकॉर्ड-ब्रेकिंग सात विकेट के साथ वर्ल्ड कप में भारत के लिए बेस्ट बॉलर बन चुके हैं. वे वर्ल्ड कप के एक संस्करण में जहीर खान को पछाड़कर लीडिंग विकेट टेकर हैं. क्या इन सब चीजों के ऐसे ही होने की उम्मीद थी? जवाब है- नहीं.

अपने मौके के लिए करना पड़ा एक ‘चोट’ का इंतजार

क्योंकि शमी के जलवों को सलाम ही ठोकना होता तो वे प्लेइंग 11 से कभी बाहर ना होते. वर्ल्ड कप का शुरुआती समय अभी ही की बात है जब बुमराह, सिराज फ्रंटलाइन पेसर थे और बाकी जिम्मा हार्दिक पांड्या व शार्दुल ठाकुर के हिस्से था. पर, अब हार्दिक पांड्या की चोट के बाद शमी उस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं जिसको मैच करना बड़े धुरंधरों के बूते की बात नहीं.


 

सफलता के तकनीकी पहलू

शमी की सीम गजब है. कलाई का रोल बेहतरीन है. बिल्कुल सीधी सीम से डेक को हिट करते हैं और बड़ी चालाकी से गेंद को बल्लेबाज के अंदर-बाहर निकालते हैं. इसके लिए शमी ने जो बेजोड़ मेहनत की है वो उनकी अपनी है. बिना हार्ड वर्क के ये परफॉर्मेंस नहीं दी जा सकती थी. शायद शमी बैंच पर बैठकर अपने हुनर को और धार दे रहे थे. ये अनचाहा ब्रेक उनके लिए शानदार साबित हुआ.

हालांकि, शमी के लिए टॉप पर पहुंचने का सफर आसान नहीं था. उन्होंने मैदान पर और बाहर दोनों तरह से कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना किया है. लेकिन बड़ी बात ये है कि इन दिक्कतों को उन्होंने दृढ़ संकल्प और लचीलेपन के साथ पार कर लिया है.

नो जुगाड़, नो शॉर्ट-कट...

3 सितंबर, 1990 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्में शमी को शुरू से ही मुश्किलों का हल खोजने की आदत है. उनके तरीके सिंपल होते हैं. नो जुगाड़, नो शॉर्ट-कट...सिर्फ मेहनत का लंबा रास्ता. शुरुआती दिनों में ही अपनी गति, सटीकता और स्विंग से सभी को प्रभावित करने के बावजूद शमी को बेहतर अवसरों की तलाश में यूपी से कोलकाता जाना पड़ा था. वहां उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

शमी ने जनवरी 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ एक वनडे मैच में अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया. उन्होंने नवंबर 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में शानदार पदार्पण किया, जहां उन्होंने नौ विकेट लिए, जिसमें दूसरी पारी में पांच विकेट हॉल भी शामिल था. शमी उस दौर में उभर रहे थे जब भारत में तेज गेंदबाजी के नए सिरे से उत्थान का समय शुरू हो चुका था और शमी अपने जुनून और हुनर से भारतीय टीम मैनेजमेंट की नजरों में आने वाले पेसर बन चुके थे.


 

ईशांत शर्मा, उमेश यादव और मोहम्मद शमी जैसा डराने वाले पेस अटैक को कौन भूल सकता है जो विराट की कप्तानी में बहुत फला-फूला. जिसने भारत की विदेशी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  शमी ने 2015 विश्व कप में भी अच्छा प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने सात मैचों में 17 विकेट लिए.

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बुरा समय बताकर नहीं आता…

हालांकि, विश्व कप के बाद, शमी को चोटों की एक सीरीज का सामना करना पड़ा जिसने उन्हें एक साल से अधिक समय तक खेल से बाहर रखा. उन्होंने घुटने की सर्जरी और हैमस्ट्रिंग की चोट का सामना किया. अपने कंधे से भी जूझते रहे. फॉर्म और फिटनेस को फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष किया. व्यक्तिगत समस्याओं का भी सामना करना पड़ा. उनकी पत्नी हसीन जहां ने  शमी पर 2018 में घरेलू हिंसा, बलात्कार और मैच फिक्सिंग के आरोप लगे.

यह शमी के जीवन का वह पड़ाव था जहां पर पूरी तरह बर्बाद होकर गुमनामी की गलियों में खो सकते थे. वे क्रिकेटर तो क्या, एक इंसान के तौर पर भी खत्म हो सकते थे. उन्होंने खुलासा भी किया था कि वह एक समय आत्महत्या करने के बारे में भी सोचने लगे थे. लेकिन उनके परिवार और दोस्त लोगों ने इस समय बड़ा साथ निभाया.

फिर भी कोई कितना भी साथ दे. जब तक इंसान खुद मजबूत ना हो तब तक सब कुछ बिखरने के बाद भी सब कुछ नहीं जोड़ सकता. यहां शमी ने अपनी मानसिक मजबूती का परिचय दिया.  उथल-पुथल भरी जिंदगी और खराब फिटनेस के बीच अभी भी एक लक्ष्य था जो शमी 'चिड़िया की आंख' जैसा नजर आ रहा था और वह था- क्रिकेट, क्रिकेट, क्रिकेट...!

फिर वापस आए शमी और छा गए

क्रिकेट में फिर से वापसी करने के लिए शमी ने तमाम तरह के गतिरोध, अवरोध और नकारात्मकताओं को दरकिनार कर दिया. सबसे पहले फिटनेस पर काम किया. वे 2019 में फिर से वापस आए और ये शमी कुछ अलग था. गेंद की धार कुछ और थी, रफ्तार कुछ और थी और कंट्रोल कुछ और था.  2019 का साल कुछ ऐसा था कि शमी  42 वनडे विकेट ले चुके थे. वे उस साल ओडीआई क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे.  


 

इसके पीछे सफलता का मूल मंत्र फिटनेस ही था. शमी ने प्रॉपर डाइट ली और लगातार मेहनत करते हुए 5 से 6 किलो तक अपना वजन घटाया. शमी देसी आदमी है. देसी सोच रखते हैं. आज भी अंग्रेजी नहीं बोलते हैं. उनकी ट्रेनिंग भी देसी स्टाइल की है. जब भारतीय क्रिकेटर कोविड के समय अपने फ्लैट या घरों में आइसोलेशन की जिंदगी बिता रहे थे, तब शमी अपने फार्म हाउस में खुले आसमान के नीचे खेत की मिट्टी पर नंगे पैर सरपट दौड़ते हुए गेंदबाजी करते थे.

कुदरत की गोद में की गई मेहनत शमी के पांव जमीन पर रखने में भी मदद करती है. वरना कईं खिलाड़ी है जो जीरो से उठे, हीरो बने और फिर जमीन पर पटक दिए गए. लगता है घरेलू झगड़े, चोट, फिटनेस, फॉर्म, नेशनल टीम से अंदर-बाहर होने जैसी चीजों ने उन्हें जिंदगी के उतार चढ़ाव के सही मायने भी सिखा दिए हैं. वैसे भी खेल की तुलना जिंदगी से होती है.

वर्ल्ड कप 2023 में शमी की एंट्री

खासकर टेस्ट क्रिकेट को तो जिंदगी से बहुत करीब ही जोड़कर देखा जाता है. टेस्ट मैचों की बात आई है तो यहां शमी भारत के बड़े गेंदबाज रहे. लेकिन उन्हें सफेद गेंद क्रिकेट में नियमित तौर पर मौके मिलने थोड़े कम हो गए. T20 में भारतीय टीम नए गेंदबाजों को आजमा रही है तो दूसरी ओर मोहम्मद सिराज का उभार एक नई घटना थी.

सच यह है कि सिराज ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में वर्ल्ड कप से पहले तक शमी की तुलना में बढ़त बना रखी थी. सिराज एक ऐसी प्रतिष्ठा के साथ वर्ल्ड कप में आए थे कि शमी बेंच पर बैठे हुए थे. पर शमी को आप बाहर कैसे रख सकते हैं? पर इसे शमी जैसे गेंदबाज का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उन्हें अपनी बारी के लिए हार्दिक पांड्या की चोट का इंतजार करना पड़ा. हार्दिक चोटिल होते हैं और शमी की वर्ल्ड कप एंट्री नई गाथा रच देती है.


 

…बाकी सब इतिहास है

वर्ल्ड कप 2023 में शमी न्यूजीलैंड के खिलाफ आते ही पांच विकेट लेते हैं और प्लेयर ऑफ द मैच बन जाते हैं. अगले मैच में अंग्रेजों के खिलाफ पर चार विकेट लेते हैं. श्रीलंका के खिलाफ मोहम्मद शमी मात्र 18 रन देकर 5 विकेट लेते हैं और उन्हें फिर प्लेयर ऑफ द मैच दिया जाता है. शमी को सिर्फ नीदरलैंड के खिलाफ भारत के अंतिम लीग मैच में विकेट नहीं मिला था. लेकिन उसके बाद सेमीफाइनल मुकाबले में 57 रन पर 7 विकेट लेने के बाद वे वनडे क्रिकेट के इतिहास में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी करने वाले बॉलर बन जाते हैं.

ये यात्रा किसी प्रेरणा से काम नहीं है. शमी ने उतार-चढ़ाव से लड़ने के लिए जबरदस्त जज्बा दिखाया. हार्ड वर्क उनका मंत्र बन गया. समर्पण और पैशन उनकी सफलता के साथी साबित हुए. अंदर बाहर होने के बावजूद लगातरा एक नई ऊर्जा के साथ वापस आना बताता है कि शमी एक टीम मैन भी हैं. एक ऐसे प्लेयर हैं जो हर परिस्थिति में अपना बेस्ट देने के लिए बेताब रहते हैं. सभी ने इस प्रदर्शन से अपने घर, अपने गांव, अपने राज्य और अपने देश को गर्व कराया है. 

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