नई दिल्ली: जब जीवन में मुश्किलें आती हैं, तो आपके पास दो रास्ते होते हैं या तो निराश होकर कुछ न करें, या बेहतर भविष्य की उम्मीद में कड़ी मेहनत करें. जो लोग अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं, वे कभी खाली हाथ नहीं लौटते. ऐसे ही एक व्यक्ति थे जयगणेश. जयगणेश पढ़ाई में बहुत होशियार थे, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से थे. इसलिए उन्हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ा. हालांकि, उन्होंने परिस्थितियों को अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होने दिया. परिणामस्वरूप, जयगणेश को आईआरएस अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया.
तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के विनावमंगलम नामक एक छोटे से गांव के रहने वाले जयगणेश के पिता एक चमड़ा कारखाने में काम करते थे और प्रति माह 4,500 रुपये कमाते थे.
घर चलाने के लिए उनकी आमदनी पर्याप्त नहीं थी, इसलिए जयगणेश ने कुछ जिम्मेदारियां उठाने का फैसला किया. उन्होंने दसवीं कक्षा तक एक स्थानीय चमड़ा कारखाने में पर्यवेक्षक के रूप में काम किया. इसके बाद, उन्होंने एक लक्ष्य निर्धारित किया और अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने के उद्देश्य से उसे प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किए.
सौभाग्य से, जयगणेश हमेशा से ही एक मेधावी छात्र रहे हैं. उन्होंने कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में 92 अंक प्राप्त किए और बाद में छात्रवृत्ति के माध्यम से एक मैकेनिकल इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया. 2000 में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, जयगणेश को एक निजी कंपनी में नौकरी मिल गई, लेकिन उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि आय पर्याप्त नहीं है. तभी उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी.
जयगणेश ने अपने पिता के ₹6,500 के बोनस का इस्तेमाल तैयारी की किताबें खरीदने में किया. तैयारी में तेजी लाने के लिए उन्होंने कोचिंग संस्थान में दाखिला लेने का सोचा. चूंकि उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही तंग थी, इसलिए उन्होंने फीस भरने के लिए वेटर की नौकरी कर ली.
बाद में, जयगणेश ने यूपीएससी की तैयारी में गहन परिश्रम किया. कहते हैं ना जब मेहनत सही दिशा में की जाए तो तरक्की भी आपके नतमस्तक हो जाती है.
अथक परिश्रम और निरंतर प्रयास के बावजूद, जयगणेश अपने पहले तीन प्रयासों में असफल रहे. चौथे प्रयास में वे साक्षात्कार तक तो पहुंच गए, लेकिन अंतिम सूची में जगह नहीं बना पाए. पांचवें और छठे प्रयास में भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और सातवें प्रयास में जुट गए. अपना खर्च चलाने के लिए, वे UPSC CSE की पढ़ाई के साथ-साथ चेन्नई के सत्यम सिनेमाज में बिलिंग क्लर्क और वेटर के रूप में काम करते रहे.
इतने वर्षों के बाद, जयगणेश की लगन रंग लाई और वे आईआरएस अधिकारी के रूप में 156वें रैंक पर पहुंचे. वर्तमान में, वे चेन्नई, तमिलनाडु और पुडुचेरी क्षेत्र में अतिरिक्त सीआईटी (ओएसडी) के रूप में कार्यरत हैं.
जयगणेश की उम्मीदवारों को सलाह. उम्मीदवारों को सलाह देते हुए, जयगणेश ने उनसे पढ़ने और लिखने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा. उनके अनुसार, लेखन कौशल मुख्य परीक्षा में सफलता की कुंजी है. उन्होंने उम्मीदवारों को अनुशासित रहने, कड़ी मेहनत करने और अपने सपनों को कभी न छोड़ने की भी सलाह दी.