भारत में प्रशासनिक सेवाएं (IAS) सबसे प्रतिष्ठित मानी जाती हैं. इनमें SDM (सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट) और DM (जिला मजिस्ट्रेट) जैसे पदों की अहमियत होती है.
हालांकि दोनों पद प्रशासनिक ढांचे का हिस्सा हैं, लेकिन उनकी जिम्मेदारियों और सुविधाओं में काफी अंतर होता है.
SDM का पद एक प्रारंभिक स्तर का प्रशासनिक पद है, जो किसी जिले के उपखंड का प्रभारी होता है. इसकी सैलरी 7वें वेतन आयोग के अनुसार निर्धारित होती है.
-मूल वेतन (Basic Pay): ₹56,100 प्रति माह.
-HRA (मकान किराया भत्ता): पोस्टिंग क्षेत्र के आधार पर ₹13,464 से ₹16,830 तक हो सकता है.
-TA (यात्रा भत्ता):₹3,600 से ₹7,200 तक.
-DA (महंगाई भत्ता): मूल वेतन का 42% (वर्तमान दर पर).
इन सब भत्तों को मिलाकर SDM की कुल मासिक सैलरी ₹70,000 से ₹1,10,000 तक हो सकती है. यह राशि अनुभव और पदोन्नति के साथ बढ़ती जाती है.
डीएम, जिले के प्रशासन का प्रमुख होता है. यह पद SDM के मुकाबले वरिष्ठ और अधिक जिम्मेदारी वाला होता है.
डीएम का मूल वेतन ₹78,800 प्रति माह से शुरू होता है. भत्ते (HRA, DA, TA) जोड़ने के बाद उनकी कुल सैलरी ₹1,20,000 से ₹2,00,000 तक हो सकती है. इसके अलावा, डीएम को कई अतिरिक्त सुविधाएं मिलती हैं, जैसे सरकारी आवास, वाहन, स्टाफ और अन्य प्रशासनिक सुविधाएं.
SDM और DM दोनों ही सरकारी सेवक हैं, लेकिन उनकी सुविधाओं में अंतर है.
आवास: SDM को सरकारी आवास मिल सकता है, लेकिन इसका स्तर डीएम के आवास से कम होता है.
वाहन: SDM को एक आधिकारिक वाहन और चालक उपलब्ध होता है, लेकिन डीएम को बेहतर श्रेणी का वाहन मिलता है.
प्रोटोकॉल: डीएम के पास अधिक अधिकार और सम्मानजनक दर्जा होता है, जबकि SDM का क्षेत्रीय प्रभाव सीमित रहता है.
SDM की सैलरी और सुविधाएं अच्छी होती हैं, लेकिन यह डीएम के बराबर नहीं होती. डीएम का पद वरिष्ठता और जिम्मेदारी के हिसाब से अधिक सुविधाजनक है. हालांकि, समय और अनुभव के साथ SDM को पदोन्नति के जरिए डीएम बनने का अवसर मिलता है, जिससे उनकी सैलरी और सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होती है.