US Seeks India as Ally Against China: अमेरिका-चीन के बीच rare earth minerals को लेकर बढ़ते तनाव के बीच भारत को नया राजनीतिक और आर्थिक मोड़ मिला है. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को इस मामले में सहयोगी बनने का प्रस्ताव दिया है. यह मिनरल्स ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.
अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा, 'चीन ने पूरी दुनिया की सप्लाई चैन और उद्योग पर खतरा पैदा किया है. उन्होंने कहा कि चीन के export controls केवल अपनी आर्थिक परेशानियों को हल करने के लिए हैं और इसका असर ग्लोबल ट्रेड पर पड़ेगा. बेसेंट ने स्पष्ट किया कि अमेरिका अपनी सार्वभौमिकता बनाए रखेगा और चीन की आदेशात्मक और नियंत्रण वाली अर्थव्यवस्था उसे नियंत्रित नहीं कर पाएगी.
बेसेंट ने कहा कि अमेरिका ने पहले ही यूरोप और एशिया के लोकतांत्रिक देशों के साथ संपर्क कर लिया है और भारत से सहयोग की उम्मीद जताई है. उन्होंने विस्तार से नहीं बताया कि सहयोग किस रूप में होगा, लेकिन संकेत दिया कि सप्लाई चेन और critical minerals पर साझा रणनीति बनाई जाएगी.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेयर अर्थ (Rare Earths) पर चीन के निर्यात नियंत्रण (Export Controls) के जवाब में अतिरिक्त 100% शुल्क (Tariffs) लगाने की धमकी दी है. यह नई तनातनी अमेरिका और चीन के बीच हुए पहले के व्यापार समझौतों (Trade Deal) के बाद सामने आई है. ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान दोनों के प्रति अपने संकेतों में मिश्रित संदेश दिए हैं, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'ग्रेट लीडर' और 'गुड फ्रेंड' बताया है.
भारत पर वर्तमान में 50% अमेरिकी शुल्क लागू हैं और अमेरिका चाहता है कि भारत चीन के खिलाफ सहयोग करे. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में चीन गए और सीमा विवाद (Border Clashes) के बाद द्विपक्षीय संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. भारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) की बातचीत जारी है. इस साल फरवरी में दोनों देशों ने समझौते की दिशा में निर्देश दिए थे और अब तक पांच राउंड (Rounds) पूरे हो चुके हैं.