नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि उनके निर्देश पर उत्तर पश्चिमी नाइजीरिया में आईएसआईएस से जुड़े आतंकियों पर शक्तिशाली सैन्य हमला किया गया. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई कमांडर इन चीफ के रूप में उनके आदेश पर हुई और इसका उद्देश्य क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क को कमजोर करना था. ट्रंप के मुताबिक यह संगठन लंबे समय से ईसाई समुदाय को निशाना बना रहा था और निर्दोष लोगों की हत्याएं कर रहा था.
ट्रंप ने आरोप लगाया कि नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में आईएसआईएस से जुड़े गुटों ने ईसाइयों के खिलाफ हिंसा को तेज कर दिया था. उनके मुताबिक इन हमलों की क्रूरता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ाई थी. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका धार्मिक आधार पर होने वाली हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगा और निर्दोष लोगों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाएगा.
राष्ट्रपति ने बताया कि अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और यह कार्रवाई सैन्य क्षमता और तकनीकी ताकत का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास ऐसे हमले करने की क्षमता है जो आतंकवादी ढांचों को गहरी चोट पहुंचा सकें. इस बयान के साथ उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयां जारी रह सकती हैं.
ट्रंप ने अपने बयान में साफ किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद को पनपने नहीं देगा. उन्होंने कहा कि जो भी संगठन निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाएगा उसे कड़ा जवाब मिलेगा. यह संदेश न केवल नाइजीरिया बल्कि दुनिया के अन्य अस्थिर क्षेत्रों के लिए भी बताया जा रहा है.
नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और पिछले कई वर्षों से अलग अलग आतंकी संगठनों की हिंसा झेल रहा है. उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी इलाकों में सुरक्षा चुनौतियां गंभीर बनी हुई हैं. ईसाई और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की खबरें अक्सर सामने आती रही हैं. ऐसे में अमेरिका की इस कार्रवाई को क्षेत्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है.
हाल के महीनों में ट्रंप नाइजीरिया में ईसाइयों की स्थिति को लेकर कई बार बोल चुके हैं. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नवंबर में उन्होंने अपने रक्षा सचिव को संभावित कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा था. उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि यदि हालात नहीं सुधरे तो अमेरिका सीधे हस्तक्षेप कर सकता है.
इस सैन्य कार्रवाई के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है. कुछ देश इसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम मान सकते हैं जबकि कुछ इसे संप्रभुता के मुद्दे से जोड़कर देख सकते हैं. नाइजीरिया की सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया भी अहम मानी जा रही है क्योंकि कार्रवाई उसके क्षेत्र में हुई बताई जा रही है.