नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की जेल में बंदी लगातार अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींच रही है. खास तौर पर बुशरा बीबी की सेहत और हिरासत की परिस्थितियों को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. अब संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले में खुलकर चिंता जताई है. यूएन का कहना है कि बुशरा बीबी को जिन हालात में रखा गया है, वे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप नहीं हैं और तुरंत सुधार की जरूरत है.
संयुक्त राष्ट्र ने बुशरा बीबी की सेहत और सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. टॉर्चर और अमानवीय व्यवहार पर यूएन की विशेष दूत एलिस जिल एडवर्ड्स ने कहा कि हिरासत के दौरान बुशरा बीबी की शारीरिक और मानसिक स्थिति की जिम्मेदारी पूरी तरह पाकिस्तान सरकार की है. उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा परिस्थितियां किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं और यह मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार बुशरा बीबी को बेहद छोटी और बिना रोशनदान वाली कोठरी में रखा गया है. यह जगह गंदी बताई जा रही है और वहां कीड़े और चूहे मौजूद हैं. कोठरी का तापमान सामान्य से अधिक रहता है और बिजली कटौती के कारण अक्सर अंधेरा छाया रहता है. ऐसे हालात किसी भी कैदी के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं.
बताया गया है कि बुशरा बीबी को पीने के लिए गंदा पानी दिया जा रहा है और भोजन में अत्यधिक मिर्च होती है, जिससे खाना खाना मुश्किल हो जाता है. इन परिस्थितियों के चलते उनका वजन करीब 15 किलोग्राम तक घट चुका है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्हें बार-बार संक्रमण हो रहा है और वह कई बार बेहोश भी हो जाती हैं. अल्सर होने की आशंका भी जताई गई है.
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने बताया कि बुशरा बीबी को अक्सर दिन में 22 घंटे से ज्यादा समय तक एकांत में रखा जाता है. कई बार यह स्थिति लगातार दस दिनों तक बनी रहती है. इस दौरान उन्हें न व्यायाम की अनुमति मिलती है, न पढ़ने की सामग्री दी जाती है. न ही वकीलों, परिवार या निजी डॉक्टरों से मिलने दिया जाता है. यह स्थिति मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है.
एलिस जिल एडवर्ड्स ने पाकिस्तानी अधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि बंदियों की उम्र, लिंग और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर हिरासत की व्यवस्था की जानी चाहिए. बुशरा बीबी को वकीलों और परिवार से मिलने तथा मानवीय संपर्क का अधिकार मिलना चाहिए. यूएन का यह बयान पाकिस्तान में राजनीतिक बंदियों के साथ व्यवहार को लेकर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव को और मजबूत करता है.