नई दिल्लीः रूस के प्रेसिडेंट पुतिन ने सोमवार को तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मुलाकात की. इस मुलाकात में पुतिन ने कहा कि रूस काला सागर अनाज समझौते के लिए तैयार है लेकिन पश्चिमी देशों को रूस की शर्तों को मानना होगा. एर्दोगन ने यूक्रेन को अपने अनाज का सुरक्षित तरह से निर्यात को अनुमति देने वाले समझौते में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता की लेकिन पुतिन ने उनकी एक न सुनी.
समझौता तभी जब मानी जाएं शर्तें
समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने एर्दोगन से कहा कि वे सिर्फ ब्लैक सी अनाज समझौते पर तभी तैयार होंगे जब पश्चिमी देश उनकी शर्तों को मानेंगे. पुतिन ने कहा कि यदि पश्चिमी देश उसकी शर्तें नहीं मानते हैं तो वह अनाज समझौता नहीं करेंगे. आपको बता दें कि तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पिछले साल भी पुतिन को काला सागर समझौते के लिए मनाया था.
और बढ़ेगा खाद्य संकट!
तुर्किए के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पुतिन ने कहा कि हमने पहले ही वादा किया था कि हम मध्य-पूर्व और अफ्रीका को रूस के फूड प्रोडक्ट्स को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा. रूस की ओर से यह किया भी जा रहा है. हम अपने वादे पर कायम है. बता दें रूस और यूक्रेन गेहूं और सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं. वहीं काला सागर अनाज निर्यात समझौता ऐसा समझौता है जो यूक्रेन के अनाज को पूरी दुनिया में लाकर वैश्विक खाद्य संकट में कमी लाने में बड़ी भूमिका निभाता है.
समझौते को आगे बढ़ाने से इंकार
इससे पहले रूस ने जुलाई में इस समझौते को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था. इसके साथ ही पुतिन ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि रूस इस समझौते को एकतरफा खत्म कर रहा है. हालांकि उस दौरान पुतिन ने यह भी कहा था कि रूस 10 लाख मीट्रिक टन सस्ता अनाज गरीब देशों में आपूर्ति करने के लिए तुर्किए भेजेगा.
रूस ने इसलिए खत्म किया समझौता
यूक्रेन के साथ जंग के बीच रूस पश्चिम के देशों के रवैयों से आहत हैं. पश्चिम ने रूस पर कई तरह के गंभीर प्रतिबंधों को लगाया है. जिस पर रूस ने कहा है कि इससे उसका कृषि क्षेत्र गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. ऐसे में रूस इस समझौते पर तभी आगे बढ़ेगा जब पश्चिम के देश इन पाबंदियों को खत्म करेंगे.
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