Middle East Crisis: पिछले साल सात अक्तूबर को हमास के हमले के बाद इसराइल ने जो जंग शुरू की थी, वो अभी खत्म भी नहीं हुई है और सीरिया में एक और युद्ध शुरू हो गया है. पिछले कुछ दिनों से सीरिया में जो कुछ भी हो रहा है, वो इस बात के सबूत हैं कि मध्य-पूर्व में युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच सीरिया के सैन्य सूत्रों के अनुसार, ईरान समर्थित मिलिशिया रातोंरात इराक से सीरिया में प्रवेश कर गए और उत्तरी सीरिया की ओर बढ़े, ताकि संघर्षरत सीरियाई सेना की मदद कर सकें. इन मिलिशिया समूहों का टारगेट उत्तरी सीरिया में सैन्य समर्थन बढ़ाना है, जहां वे विद्रोहियों से संघर्ष कर रहे हैं.
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान समर्थित मिलिशिया इराक से रातों-रात सीरिया में प्रवेश कर गए हैं. जहां वे विद्रोहियों से लड़ रहे सीरियाई सैन्य बलों को मजबूत करने के लिए उत्तरी सीरिया की ओर बढ़ रहे हैं. सीरियाई सेना के एक वरिष्ठ सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि इराक से ईरान समर्थित हश्द अल शाबी के दर्जनों लड़ाके भी अल बुकमाल क्रॉसिंग के निकट सैन्य मार्ग से सीरिया में प्रवेश कर गए. अधिकारी ने कहा, "जो उत्तर में अग्रिम मोर्चे पर तैनात हमारे साथियों की सहायता के लिए भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन मिलिशिया में इराक के कातिब हिजबुल्लाह और फतेमियून समूह शामिल हैं.
⚡️Thousands and thousands are entering Syria
— Iran Observer (@IranObserver0) December 2, 2024
The reinforcement of the Iraqi Popular Mobilisation Forces is massive pic.twitter.com/s6sgf8EMpE
सीरिया युद्ध में ईरान की भूमिका
सीरिया युद्ध के दौरान ईरान ने हजारों शिया मिलिशिया सीरिया भेजे थे. जहां पर वे रूसी एयरफोर्स के साथ मिलकर, ईरान ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को विद्रोहियों के खिलाफ निर्णायक जीत दिलाने में मदद की और उन्होंने अपने ज्यादातर इलाकों पर नियंत्रण दोबारा पा लिया.
सीरिया सेना की क्या है हालात?
हाल के दिनों में, सैन्य बलों की कमी के कारण सीरियाई सेना को विद्रोहियों के हमलों का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अलेप्पो शहर से तेजी से पीछे हटना पड़ा.ईरान समर्थित मिलिशिया, जिनमें हिजबुल्लाह भी शामिल है, अलेप्पो क्षेत्र में एक मजबूत उपस्थिति बनाए हुए हैं.
इस बीच, इजरायल ने हाल के महीनों में सीरिया में ईरान समर्थित ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं और लेबनान में भी ऑपरेशन चलाया है, जिससे उन्होंने हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत को कमजोर करने का दावा किया है.