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'ऐतिहासिक दौरा निकला फ्लॉप शो;' व्हाइट हाउस में शहबाज-मुनीर की किरकिरी, इंतजार और ब्लैकआउट ने पाकिस्तान की खोली पोल

Pakistan-US Relations: कई विश्लेषकों का मानना है कि इस दौरे ने पाकिस्तान की कमजोर स्थिति को और उजागर कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी छवि को नुकसान हुआ है.

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Reepu Kumari

Pakistan-US Relations: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर का अमेरिका दौरा पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक जीत से ज्यादा शर्मिंदगी का सबब बन गया. इस्लामाबाद ने इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताते हुए जमकर प्रचार किया था, लेकिन हकीकत में व्हाइट हाउस में उन्हें वो सम्मान नहीं मिला, जिसकी उम्मीद की जा रही थी. ट्रंप प्रशासन ने न तो राजकीय प्रोटोकॉल दिया और न ही प्रेस कवरेज, जो आम तौर पर विश्व नेताओं की मुलाकात के दौरान दिखाई देती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, यह दौरा पूरी तरह 'फ्लॉप शो' साबित हुआ. शहबाज और मुनीर को ट्रंप से मिलने से पहले आधे घंटे तक बगल के कमरे में इंतजार करना पड़ा. पूरी मुलाकात 1 घंटा 20 मिनट चली, लेकिन यह केवल औपचारिक मुस्कान और हाथ मिलाने तक सीमित रही. न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और न ही कोई ठोस घोषणा. इससे पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति और कमजोर नजर आई.

ट्रंप ने कराया लंबा इंतजार

व्हाइट हाउस में ट्रंप से मिलने से पहले शहबाज और मुनीर को 30 मिनट तक इंतजार कराया गया, जिसने पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक अपमान की तस्वीर खींच दी.

प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया कवरेज नदारद

आमतौर पर व्हाइट हाउस में विदेशी नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है, लेकिन यहां पूरी तरह ब्लैकआउट रखा गया. न कोई बयान और न कैमरों की मौजूदगी.

वजीरी ने मुलाकात को बताया फ्लॉप

लंदन स्थित भू-राजनीतिक विश्लेषक ओमर वजीरी ने इस मुलाकात को फ्लॉप शो बताया. उन्होंने कहा कि यहां न कोई नाटकीय दृश्य दिखा और न ही कोई कूटनीतिक धूमधाम.

सिर्फ हैंडशेक और मुस्कान तक सीमित

मुलाकात 1 घंटा 20 मिनट चली लेकिन यह सिर्फ औपचारिक हाथ मिलाने और रूखी मुस्कान तक सिमटी रही. पाकिस्तान के लिए कोई बड़ा नतीजा सामने नहीं आया.

शरीफ को नहीं मिला राजकीय प्रोटोकॉल

दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगलमैन के अनुसार, यह दौरा राजकीय यात्रा जैसा बिल्कुल नहीं था. शरीफ का स्वागत केवल एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने किया.

पाकिस्तानी प्रचार और हकीकत में फर्क

इस्लामाबाद ने इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताया था, लेकिन व्हाइट हाउस के सादे स्वागत ने पाकिस्तान के प्रचार की हवा निकाल दी.

जहां ट्रंप अन्य नेताओं के साथ मीडिया के सामने आते हैं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख को इस सम्मान से वंचित रखा गया.

विशेषज्ञों ने जताई चिंता

कई विश्लेषकों का मानना है कि इस दौरे ने पाकिस्तान की कमजोर स्थिति को और उजागर कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी छवि को नुकसान हुआ है.

नतीजाविहीन खत्म हुआ दौरा

अंततः यह मुलाकात पाकिस्तान के लिए सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई. न कोई समझौता हुआ और न ही कोई ठोस घोषणा, जिससे इसे पूरी तरह नाकाम माना जा रहा है.