पाकिस्तान के मुरीदके में फिर तैयार हो रही लश्कर-ए-तैयबा की टेरर फैक्ट्री, OP सिंदूर में हुआ था बर्बाद!
इंडियन एयरफोर्स के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके मुख्यालय के दोबारा से र्निर्माण के लिए धन मुहैया कराया. खुफिया जानकारी से पता चला है कि 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपए आवंटित किए गए हैं, जिससे बार्डर पार हमले की आशंका बढ़ गई है.
पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी दावों पर गंभीर सवाल उठाने वाली एक खबर सामने आई है. नई खुफिया जानकारी के अनुसार, इस्लामाबाद बाढ़ राहत कोष का इस्तेमाल करके लश्कर-ए-तैयबा (LET) को मुरिदके में अपने नष्ट हुए हेडक्वार्टर के पुनर्निर्माण में मदद कर रहा है. लश्कर का मूल आधार, मार्कज तैबा, 7 मई 2025 को भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नष्ट कर दिया गया था. इस सटीक हवाई हमले ने कैंपस की प्रमुख इमारतों, ट्रेनिंग फैसिलिटी, हथियार भंडारण क्षेत्रों और लश्कर सदस्यों के लिए आवास ब्लॉकों को ध्वस्त कर दिया. इसके बावजूद, हालिया खुफिया जानकारी के अनुसार, लश्कर ने पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के पूर्ण समर्थन से इस स्थल का पुनर्निर्माण शुरू कर दिया है.
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान सरकार ने पुनर्निर्माण के लिए 4 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. लश्कर नेताओं का अनुमान है कि पुनर्निर्माण की कुल लागत 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की होगी. इस परियोजना की निगरानी सीनियर लश्कर कमांडर मौलाना अबू जर और यूनुस शाह बुखारी कर रहे हैं, जिनका टारगेट 5 फरवरी 2026 तक, लश्कर के सालाना कश्मीर एकजुटता दिवस के लिए निर्माण पूरा करना है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि लश्कर नकली बाढ़ राहत अभियानों के जरिए पुनर्निर्माण के लिए अतिरिक्त धन जुटा रहा है.
बाढ़ राहत कोष का हो रहा दुरुपयोग
खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संगठन बाढ़ पीड़ितों के लिए धन इकट्ठा करने का दावा कर रहा है, लेकिन यह रकम वास्तव में आतंकी शिविर को दोबारा से खड़ा करने के लिए इस्तेमाल हो रही है. यह रणनीति नई नहीं है. 2005 में, भी लश्कर की मुखौटा संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) ने भूकंप पीड़ितों के लिए धन इक्ठ्ठा किया था, जिसमें से लगभग 80% रकम आतंकी शिविरों के निर्माण में लगाई गई थी.
आतंक का कारखाना 'मार्कज तैबा'
मार्कज तैबा, मुरिदके, न केवल लश्कर के प्रमुख कमांडरों का निवास स्थान है, बल्कि यह कट्टरपंथ और खुफिया जानकारी, हथियार ट्रेनिंग जैसे कई पाठ्यक्रमों का केंद्र भी है. साल 2000 में स्थापित, यह लश्कर का सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनिंग सेंटर है, जो पंजाब, पाकिस्तान के शेखूपुरा, नंगल साहदान में स्थित है. ये कैंपस हर साल लगभग 1000 छात्रों को कई पाठ्यक्रमों में नॉमिनेट करता है, जो लश्कर के लिए आतंकी तत्वों को तैयार करने में इसकी भूमिका को उजागर करता है. ओसामा बिन लादेन ने इस कैंपस में मस्जिद और गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए का वित्त पोषण किया था.
26/11 हमलों से है इसका संबंध
पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर, 26/11 मुंबई हमलों के सभी अपराधियों, जिनमें अजमल कसाब शामिल थे, उसको इस सुविधा में 'दौरा-ए-रिब्बत' (खुफिया ट्रेनिंग) दिया गया था. डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राना, मुंबई हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता, उन्होंने जकी-उर-रहमान लखवी के निर्देश पर अब्दुल रहमान सईद, हारून और खुर्रम के साथ मुरिदके का दौरा किया था.
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