Operation Sindoor Masood Azhar: 15 दिन बाद 26 के बदले 100 की जान. आखिरकार भारत के वीर जवानों ने पहलगाम आतंकी हमले का पाकिस्तान से जोरदार बदला ले ही लिया है. जब बुधवार की रात को दोनों देशों के लोग चैन की नींद सो रहे थे तब भारतीय सेना बदला लेने की तैयारी में लगी थी. भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक-एक सिंदूर का बदला अच्छे से लिया है. ऑपरेशन सिंदूर नाम के इस अभियान में वायु, नौसेना और भूमि आधारित संपत्तियों की त्रि-सेवाओं की तैनाती शामिल थी. यह 2019 में बालाकोट ऑपरेशन के बाद से भारत द्वारा किया गया सबसे बड़ा सीमा पार सटीक हमला है.
भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर रात भर हमले किए. इसमें कोटली, मुरीदके और बहावलपुर में प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया. बहावलपुर की जिस मस्जिद को सेना ने उड़ाया है वहां अक्सर आतंकवादी मसूद अजहर रात गुजारा करता था. पहले लगा था कि वो भी ढेर हो गया है. लेकिन अब अपडेट आ रही है कि वो इस हमले में बच गया है. इस हमले में भारत ने मसूद की कमर तोड़ दी है. अब वो रहम की भीख मांग रहा है. इसी के साथ पाकिस्तान ने भी अपना पक्ष साफ कर दिया है कि वो कुछ नहीं करेंगे अगर भारत हमला रोक दे तो.
पाकिस्तान के बदले सुर से साफ हो गया है कि मसूद का जल्द ही खात्मा हो सकता है. शायद वैसे ही जैसे लादेन का खात्मा हुआ था.
ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर में, ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए, अमेरिकी सेना ने चुपके क्षमताओं के साथ संशोधित ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया. इन हेलीकॉप्टरों को के रूप में जाना जाता हैचुपके ब्लैक हॉक्स, को रडार से कम दिखाई देने और मानक ब्लैक हॉक्स की तुलना में कम शांत होने के लिए डिज़ाइन किया गया था. ऑपरेशन के दौरान एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, और पूंछ सहित मलबा पाकिस्तान को वापस कर दिया गया.
1968 में जन्मे, छोटी दाढ़ी वाले एक मोटे आदमी मसूद अज़हर को 1994 में आतंकवाद के लिए भारत में गिरफ़्तार किया गया था. गिरफ़्तारी से पहले, वह एक मौलवी और अफ़गानिस्तान में स्थित हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM) का सदस्य था.
रिहा होने के तुरंत बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की. कट्टरपंथी इस्लाम के देवबंदी स्कूल से प्रेरित होकर जैश-ए-मोहम्मद ने 2000 से भारत में कई हमलों को अंजाम देने के लिए अन्य सक्रिय आतंकी समूहों के साथ मिलकर काम किया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा और संसद पर हमला भी शामिल है.
जैश-ए-मोहम्मद, जिसका मतलब है 'मुहम्मद की सेना', शरिया कानून की कट्टरपंथी व्याख्या के तहत कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का सपना देखता है. कई रिपोर्टों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद की शुरुआत 31 जनवरी, 2000 को कराची में हुई थी.
अप्रैल 2000: जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर में पहला आत्मघाती हमला किया, जब 17 वर्षीय आफाक अहमद शाह नामक एक युवक ने श्रीनगर के बादामी बाग में भारतीय सेना की 15वीं कोर के मुख्यालय के बाहर विस्फोटकों से भरी कार में विस्फोट कर दिया, जिसमें चार सैनिक मारे गए.
अक्टूबर 2001: श्रीनगर में जम्मू और कश्मीर विधानसभा पर आत्मघाती बम विस्फोट में 30 से अधिक लोग मारे गए.
दिसंबर: जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के आतंकवादियों ने नई दिल्ली में भारतीय संसद पर संयुक्त हमला किया, जिसमें आठ सुरक्षाकर्मियों सहित 14 लोग मारे गए. इस हमले के कारण 2001 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा सैन्य गतिरोध पैदा हो गया था.
जनवरी 2016: भारत में पठानकोट एयरबेस पर हमले में तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए.
सितंबर 2016: जैश-ए-मोहम्मद ने उरी ब्रिगेड मुख्यालय पर हमला करके 19 भारतीय सैनिकों को मार डाला. जवाब में भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के शिविरों पर "सर्जिकल स्ट्राइक" की.
फरवरी 2019: सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में 40 भारतीय जवान शहीद हो गए. जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली. भारत द्वारा बालाकोट में हवाई हमले और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया.
ऐसा माना जा रहा है कि पहलगाम पर हाल ही में हुए हमले को जैश-ए-मोहम्मद के एक सहयोगी ने लश्कर-ए-तैयबा की मदद से अंजाम दिया है. प्रतिबंधों से बचने के लिए यह समूह कश्मीर टाइगर्स और कश्मीर फ्रीडम आर्मी जैसे छद्म संगठनों का इस्तेमाल करता रहा है.