वैज्ञानिकों ने कर दिया चमत्कार! पहली बार बनाया 'जीवित' सीमेंट, बिना बिजली के घरों को करेगा रौशन
आरहूस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सीमेंट में खास किस्म के बैक्टीरिया मिलाकर एक ऐसा नया पदार्थ तैयार किया है जो न सिर्फ इमारतों को मजबूती देगा बल्कि बिजली भी स्टोर करेगा.
कल्पना कीजिए कि आपका घर सिर्फ रहने की जगह ही नहीं बल्कि बिजली भी जमा करता हो. यह सुनने में किसी साइंस फिक्शन की कहानी जैसा लगता है, लेकिन अब यह हकीकत बनने की ओर बढ़ चुका है. आरहूस यूनिवर्सिटी (डेनमार्क) के शोधकर्ताओं ने सीमेंट में बैक्टीरिया डालकर एक ऐसा जीवित ऊर्जा उपकरण तैयार किया है जो ऊर्जा स्टोर करने और दोबारा पाने की क्षमता रखता है.
दुनिया भर में सीमेंट सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री है, लेकिन इसे हमेशा निष्क्रिय और निर्जीव माना गया है. पर अब वैज्ञानिकों की नई खोज ने इस धारणा को बदल दिया है. उन्होंने Shewanella oneidensis नामक बैक्टीरिया को सीमेंट में मिलाकर उसे ऊर्जा संग्रहण करने वाली सामग्री बना दिया है. यह बैक्टीरिया इलेक्ट्रॉनों को बाहर ट्रांसफर करने की क्षमता रखता है. इसके जरिए सीमेंट ब्लॉकों में चार्ज कैरियर्स का ऐसा नेटवर्क बनता है जो बिजली को जमा और रिलीज कर सकता है.
खुद को दोबारा जिंदा करने वाली तकनीक
शोधकर्ताओं ने बताया कि जब बैक्टीरिया भोजन या अनुकूल वातावरण न मिलने के कारण निष्क्रिय हो जाते हैं तो सीमेंट में पहले से बनाए गए माइक्रोफ्लूडिक नेटवर्क के जरिए पोषक तत्व डाले जा सकते हैं. इस घोल में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो बैक्टीरिया को दोबारा सक्रिय कर देते हैं. इस प्रक्रिया से लगभग 80% तक पुरानी ऊर्जा क्षमता वापस पाई जा सकती है.
कठिन हालात में भी असरदार
वैज्ञानिकों ने इस बायोसीमेंट को कठिन परिस्थितियों में भी परखा. जमाने वाली ठंड से लेकर तेज गर्मी तक, हर हाल में यह बिजली स्टोर और डिस्चार्ज करने में सक्षम रहा. जब छह ब्लॉकों को सीरीज में जोड़ा गया तो उन्होंने एक LED बल्ब जलाने जितनी ऊर्जा पैदा की. यही नहीं, एक सामान्य कमरे की दीवारें अगर इस खास सीमेंट से बनाई जाएं तो उसमें लगभग 10 किलोवॉट-घंटा ऊर्जा जमा की जा सकती है, जो एक स्टैंडर्ड सर्वर को पूरे दिन चलाने के लिए पर्याप्त है.
भविष्य की ऊर्जा वाली इमारतें
आज दुनिया नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर होती जा रही है, लेकिन बड़ी चुनौती है सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा स्टोरेज. पारंपरिक बैटरियां लिथियम और कोबाल्ट जैसे महंगे खनिजों पर निर्भर होती हैं और समय के साथ खराब भी हो जाती हैं. वहीं यह नया सीमेंट सस्ते और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्वों से बनाया जा सकता है और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाता. शोधकर्ता मानते हैं कि आने वाले समय में यह तकनीक घर की दीवारों, पुलों और फाउंडेशन तक में इस्तेमाल होगी, जहां इमारतें खुद बिजली जमा करके काम आएंगी.
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