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अमेरिका के बाद जर्मनी चुनाव में किंगमेकर बनेंगे एलम मस्क, दुनिया के सबसे अमीर शख्स पर क्यों लग रहे आरोप?

एलन मस्क का AfD के प्रति समर्थन जर्मनी में एक बड़े राजनीतिक विवाद का कारण बना है. यह चुनावी लड़ाई को और जटिल बना सकता है. इसके बावजूद, जर्मनी के मुख्यधारा के दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं और इसे अपने लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं.

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Edited By: Mayank Tiwari
अमेरिकी अरबपति एलन मस्क
Courtesy: Social Media

अमेरिकी अरबपति और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने जर्मनी के दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) के समर्थन में एक लेख लिखा, जिसे जर्मन नेताओं ने कड़ी आलोचना का शिकार किया. मस्क ने इस लेख में पार्टी की नीति और दृष्टिकोण की सराहना की, खासकर इसके कर और बाजार उन्मुक्तिकरण के दृष्टिकोण को लेकर. मस्क का यह कदम जर्मनी में आगामी चुनावों के मद्देनजर हुआ है. जहां एक महत्त्वपूर्ण चुनावी संघर्ष होने जा रहा है. ऐसे में यह स्थिति जर्मन राजनीति में एक नई बहस का कारण बन गई है.

न्यूज एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एलन मस्क ने वेल्ट अम सोन्टा नामक जर्मन समाचार पत्र में अपने विचार साझा किए, जो एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किए गए उनके पोस्ट का विस्तार था. उन्होंने पिछले हफ्ते लिखा था, "केवल AfD ही जर्मनी को बचा सकती है. इस बयान ने जर्मन राजनीति में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. मस्क के इस समर्थन को लेकर जर्मन सरकार और विपक्ष दोनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी.

जानिए जर्मनी के नेता एलन मस्क पर क्या बोले?

इस बीच विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स पार्टी (CDU) के नेता और चांसलर बनने के प्रमुख उम्मीदवार फ्रेडरिक मर्ज ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैं पश्चिमी लोकतंत्रों में किसी मित्र देश के चुनावी अभियान में इस प्रकार की घुसपैठ का कोई समान मामला याद नहीं कर सकता. उन्होंने मस्क के लेख को "अतिक्रमण और अभिमानी" करार दिया.

वहीं, सोशल डेमोक्रेट पार्टी (SPD) की सह-नेता सास्किया एस्पेन ने भी मस्क की आलोचना की. इस दौरान उन्होंने कहा, "एलन मस्क की दुनिया में, लोकतंत्र और श्रमिक अधिकार अधिक मुनाफे के रास्ते में रुकावट हैं. उन्होंने साफ तौर से कहा कि जर्मनी का लोकतंत्र मजबूती से बचाया जाएगा और इसे खरीदा नहीं जा सकता.

पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर जोर

इस बीच, वेल्ट अम सोन्टाग के संपादक ने मस्क के लेख को प्रकाशित करने का बचाव करते हुए कहा कि "लोकतंत्र और पत्रकारिता विचारों की स्वतंत्रता पर आधारित है, जिसमें विभाजनकारी नजरिया भी शामिल हैं.

AfD का चुनावी भविष्य 

इस बीच, AfD चुनावी मतदान में दूसरे स्थान पर है. ऐसे में यह केंद्र-दक्षिणपंथी और केंद्र-वाम दलों के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है. वहीं, जर्मनी के मुख्यधारा के दलों ने राष्ट्रीय स्तर पर AfD से समर्थन लेने से इनकार किया है और एफडी के साथ किसी भी सहयोग से बचने की कोशिश की है.