ट्रंप का एक और धमाका, अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों पर 100 फीसदी टैरिफ

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और विवादित फैसला लेते हुए घोषणा की है कि अब अमेरिका में बनने वाली सभी विदेशी फिल्मों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा. सोमवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा कि हॉलीवुड और अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री को बचाने के लिए यह कदम उठाना अनिवार्य हो गया है.

Anubhaw Mani Tripathi

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार एक के बाद एक झटके दे रहे हैं. उन्होंने एक बार फिर टैरिफ लगाकर दूसरे देशों को चौंका दिया है. इस बार ट्रंप ने ऐलान किया है कि अब अमेरिका में बनने वाली सभी विदेशी फिल्मों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा.

सोमवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा कि हॉलीवुड और अमेरिकी फिल्म उद्योग को बचाने के लिए यह कदम ज़रूरी हो गया है.

अमेरिकी फिल्म उद्योग को ‘चोरी’ से बचाने की कोशिश

ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका का फिल्म निर्माण व्यवसाय लगातार अन्य देशों द्वारा छीना जा रहा है. उन्होंने कैलिफोर्निया के गवर्नर को "कमजोर और अयोग्य" बताते हुए कहा कि इसी वजह से वहां की फिल्म इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. ट्रंप ने लिखा, “हमारी मूवी इंडस्ट्री को अन्य देशों ने ऐसे चुरा लिया है जैसे किसी बच्चे से कैंडी छीन ली जाए. इस लंबे समय से चले आ रहे, कभी न खत्म होने वाले मुद्दे को खत्म करने के लिए मैं सभी विदेशी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगा रहा हूं.”

Donald Trump

मई में भी दी थी चेतावनी

ट्रंप का यह फैसला अचानक नहीं आया है. मई 2025 में भी उन्होंने इसी तरह का बयान दिया था. उस समय उन्होंने विदेशी फिल्मों को अमेरिका के लिए “राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा” बताया था. ट्रंप का आरोप है कि विदेशी फिल्में न केवल अमेरिकी फिल्म निर्माताओं को आकर्षक ऑफर्स देकर बाहर खींच लेती हैं, बल्कि अमेरिका में “प्रोपेगेंडा और मैसेजिंग” भी लेकर आती हैं.

क्या होगा असर?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का सीधा असर अमेरिकी दर्शकों की पसंद पर पड़ेगा. विदेशी फिल्मों, खासकर बॉलीवुड, कोरियाई सिनेमा और यूरोपीय फिल्मों के बड़े बाजार पर यह टैरिफ गहरी चोट कर सकता है. वहीं, हॉलीवुड निर्माताओं को उम्मीद है कि इस कदम से स्थानीय उद्योग को नई मजबूती मिलेगी. हालांकि, आलोचक इसे प्रोटेक्शनिज्म की ओर झुकाव मान रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद बढ़ सकता है.