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India Daily

फिंगर प्रिंट ही नहीं अब 'प्रवासियों' से ट्रंप प्रशासन लेगा DNA सैंपल! जानें क्या कहता है DHS का नया नियम?

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) नया नियम ला रहा है, जिसके तहत अप्रवासियों से बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा किए जाएंगे. इसमें केवल फिंगर प्रिंट नहीं बल्कि डीएनए नमूने, आईरिस स्कैन भी शामिल होंगे.,

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Edited By: Shanu Sharma
Donald Trump
Courtesy: X (@NigeriaStories)

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता में आए हैं, तब से कई बदलाव कर चुके हैं. इसी क्रम में अमेरिकी प्रशासन एक और बदलाव करने जा रहा है. ट्रंप प्रशासन के तहत होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) एक नया नियम ला रहा है, जो अप्रवासियों से बायोमेट्रिक डेटा का दायरा बढ़ाएगा. इसमें डीएनए नमूने, आईरिस स्कैन, चेहरे की पहचान और आवाज के निशान शामिल होंगे. 

डीएचएस द्वारा अब तक सिर्फ उंगलियों के निशान लिए जाते थे, खास तौर पर वयस्कों से लेकिन नया नियम हर उम्र के व्यक्ति से डेटा लेने की इजाजत देगा. ट्रंप सरकार के इस नियम पर गोपनीयता को लेकर सवाल उठा रहा है. 

प्रवासियों की बढ़ेंगी मुश्किलें?

ट्रंप प्रशासन का यह पहल आप्रवासन  प्रक्रिया को और सख्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. अभी तक डीएचएस सीमित हिरासत में लिए गए प्रवासियों से बायोमेट्रिक्स ही लेता था, लेकिन अब डीएनए समेत कई सैंपल लिए जाएंगे. डीएनए संग्रह परिवार संबंध सत्यापन या हिरासत में सीमित था, अब यह नियमित हो सकता है. विशेषज्ञों को अदालती चुनौतियों की आशंका है, जो सर्वोच्च न्यायालय तक जा सकती है. यह लाखों लोगों की निजता को प्रभावित करेगा.

अभी डीएचएस मुख्यतः उंगलियों के निशान लेता है, सिर्फ कुछ वयस्क आवेदकों से, नया नियम हर उम्र के व्यक्ति से बायोमेट्रिक डेटा जरूरी करेगा. ओबामा दौर में बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह असंभव माना गया था, लेकिन अब सब बदलता नजर आ रहा है. उंगलियों के निशान से आगे डीएनए, आईरिस स्कैन, चेहरे की पहचान, आवाज और व्यवहार पैटर्न शामिल होंगे. पहचान सत्यापन व कानून प्रवर्तन के लिए डेटा का उपयोग, साझाकरण और रखरखाव तय होगा. यह डेटा एफबीआई के साथ जुड़ सकता है. यह नियम वीज़ा, ग्रीन कार्ड या शरण आवेदकों को भी कवर करेगा. 

नए नियम पर बवाल संभव 

अमेरिका में अभी तक डीएनए सिर्फ परिवार संबंध साबित करने या हिरासत में लिया जाता है. नया नियम इसे नियमित बनाएगा, बिना आपराधिक संदेह के भी. जब दस्तावेज़ कम होता था तो माता-पिता या भाई-बहन का दावा साबित करने के लिए डीएनए मांगा जाता था. यूएससीआईएस-अनुमोदित लैब में टेस्ट होता है था. अब यह नया प्रस्ताव इसे व्यापक बनाएगा, हर आवेदन में संभव. गोपनीयता विशेषज्ञ चिंतित हैं कि आनुवंशिक डेटा का दुरुपयोग हो सकता है. हालांकि कुछ लोगों का माना है कि यह सरकारी शक्ति बढ़ाएगा, लेकिन संवैधानिक सवाल खड़े करेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि नियम अदालत में फंस सकता है . गोपनीयता, आनुवंशिक डेटा और सरकारी अतिक्रमण के मुद्दे उठेंगे.