कांगो की तांबा खदान में मौत का मंजर; पलभर में ढहा पुल, चीखों के सैलाब में समाते 32 खनिकों का वीडियो
दक्षिण-पूर्वी कांगो की कलंदो तांबा-कोबाल्ट खदान में शनिवार को बड़ा हादसा हो गया, जब भारी बारिश से कमजोर हो चुका पुल अचानक ढह गया. पुल पर भीड़ के साथ चढ़े अवैध खनिक गिरकर मलबे में दब गए.
नई दिल्ली: दक्षिण-पूर्वी कांगो की एक तांबा-कोबाल्ट खदान में शनिवार को ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया. भारी बारिश के बाद कमजोर हो चुका एक पुल अचानक गिर गया, जिस पर बड़ी संख्या में अवैध खनिक मौजूद थे.पुल के ढहते ही लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें गूंज उठीं और देखते ही देखते कई मजदूर नीचे खदान में गिरकर मलबे में दब गए. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसे देखकर लोगों का दिल दहल उठा है.
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि यह इलाका पहले से ही जोखिमपूर्ण माना जाता है, लेकिन अवैध खनन का दबाव इतना ज्यादा है कि चेतावनियों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है.
चेतावनियां अनसुनी, अवैध खनिकों ने जोखिम उठाया
क्षेत्रीय गृह मंत्री रॉय कौम्बा मायोंडे के अनुसार, मुलोंडो स्थित कलंदो खदान में बना पुल भारी बारिश से पहले ही कमजोर पड़ चुका था. सुरक्षा एजेंसियों ने खनिकों को चेतावनी दी थी कि भूस्खलन और ढहने का खतरा बढ़ गया है. इसके बावजूद अवैध खनिक प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गए और पुल पर भीड़ लग गई. जैसे ही पुल टूटा, लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े और मौके पर कई की मौत हो गई.
हादसे का दिल दहला देने वाला वीडियो
हादसे का एक दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है, जिसमें पुल गिरते ही लोग नीचे खदान में गिरते दिख रहे हैं. वीडियो में उठती धूल, चीखें और भागदौड़ का दृश्य किसी को भी सिहरने पर मजबूर कर देता है. यह फुटेज दिखाता है कि पुल पर कितनी भारी भीड़ थी और ढहते ही स्थिति कैसे नियंत्रण से बाहर हो गई. प्रशासन ने वीडियो की पुष्टि की है और इसे जांच का हिस्सा बनाया गया है.
मृतकों की संख्या को लेकर दो अलग-अलग दावे
सरकारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या 32 बताई गई है, लेकिन SAEMAPE नामक स्थानीय खनन सहायता संस्था ने दावा किया है कि कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है. संस्था के अनुसार, वह जमीन पर काम करती है और वास्तविक स्थिति जानती है, इसलिए उसका आंकड़ा अधिक सटीक माना जा सकता है. फिलहाल बचाव टीमें मलबा हटाकर फंसे लोगों की तलाश कर रही हैं.
खदान में सालों से जारी संघर्ष की कहानी
रिपोर्टों में कहा गया है कि खदानों में सैनिकों की तैनाती और अवैध खनिकों के बीच लंबे समय से तनाव है. सैनिक वाइल्डकैट यानी अवैध खनिकों को रोकने आते हैं, वहीं सहकारी संस्थाएं छोटे खनिकों की गतिविधियां संचालित करती हैं. इन परंपरागत समूहों का टकराव अक्सर झड़पों में बदल जाता है, जिससे क्षेत्र की स्थिति और अधिक अस्थिर बनी रहती है.
खनिजों पर चीनी कंपनियों का वर्चस्व
कांगो विश्व के कोबाल्ट उत्पादन का केंद्र है और यहां लगभग 80 प्रतिशत कोबाल्ट चीनी कंपनियों के नियंत्रण में है. इन कंपनियों पर बाल श्रम, खतरनाक कामकाज और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए जाते रहे हैं. खदानों में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर है, जिसके कारण ऐसे हादसे अक्सर सामने आते हैं और मजदूरों की जान जोखिम में पड़ती रहती है.
विद्रोह, गरीबी और संघर्षों से जूझता कांगो
जिस क्षेत्र में यह हादसा हुआ, वह पहले से ही संघर्ष का केंद्र है. सरकारी सेना, M23 जैसे विद्रोही गुट और मिलिशिया संगठन लगातार लड़ाई में जुटे रहते हैं. हाल के विद्रोही हमलों के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं और भुखमरी व बीमारी जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. ऐसे माहौल में अवैध खनन लोगों की मजबूरी बन गया है, जो अक्सर जानलेवा साबित होता है.