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India Daily

अमेरिकी डिप्लोमेसी में बड़ा बदलाव, अमेरिका ने 30 देशों में तैनात राजदूतों को वापस बुलाया

डोलाल्ड ट्रंप अब अपने एक नए फैसले के लिए चर्चा में बने हुए हैं. ट्रंप प्रशासन अमेरिकी विदेश नीति को नया रूप देने के उद्देश्य से लगभग 30 अनुभवी राजनयिकों को राजदूत को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है.

Meenu Singh
Edited By: Meenu Singh
Donald Trump- India Daily
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: डोलाल्ड ट्रंप अब अपने एक नए फैसले के लिए चर्चा में बने हुए हैं. ट्रंप प्रशासन अमेरिकी विदेश नीति को नया रूप देने के उद्देश्य से लगभग 30 अनुभवी राजनयिकों को राजदूत को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम डोनाल्ड ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडे के अनुरुप ढालने के लिए उठाया गया है. हालांकि यह साफ किया गया है कि अधिकारियों को बर्खास्त नहीं किया जा रहा है बल्कि उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग के अंदर अन्य जिम्मेदारी दी जाएगी. 

जनवरी में खत्म होगा कार्यकाल

बता दें ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि लगभग 29 देशों में तैनात मिशन प्रमुख का कार्यकाल जनवरी में खत्म कर दिया जाएगा. दरअसल स्टेट डिपार्टमेंट के दो अधिकारियों ने यह के अनुसार इन मिशन प्रमुखों को पिछले हफ्ते ही सूचित कर दिया गया था. 

दरअसल, यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फॉक्स को जानकारी दी कि यह किसी भी प्रशासन में एक सामान्य प्रक्रिया है. राजदूत राष्ट्रपति का व्यक्तिगत प्रतिनिधि होता है और यह राष्ट्रपति का अधिकार है कि वह तय करें कि विदेशों में तैनात प्रतिनिधि अमेरिका फर्स्ट एजेंडे को आगे बढ़ाएं. बता दें विदेशों से वापस आ रहे अधिकतर राजदूत कैरियर फॉरेन सर्विस अधिकारी हैं, जिन्हें बाइडन प्रशासन के दौरान नियुक्त किया गया था. 

अफ्रीका पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर 

इस बड़े बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित अफ्रीका होगा. अफ्रीका के नाइजीरिया, सेनेगल, रवांडा, सोमालिया, मेडागास्कर और रवांडा सहित 13 देशों से ट्रंप के आदेश पर इन राजदूतों को वापस बुलाया जा रहा है. वहीं एशिया के फिजी, लाओस, मार्शल आइलैंड्स, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस और वियतनाम सहित छह देशों में तैनात राजदूतों की भी वापसी होगी. 

इसके अलावा यूपोप के चार देशों आर्मेनिया, नॉर्थ मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो और स्लोवाकिया से भी अमेरिकी राजदूतों को बुलावा आया है. वहीं मध्य पूर्व में अल्जीरिया और मिस्र, दक्षिण और मध्य एशिया में श्रीलंका और नेपाल, ग्वाटेमाला और सूरीनाम के भी अमेरिकी राजदूत वापस लौटेंगे.

क्या इस फैसले से कमजोर होगी अमेरिकी कूटनीति? 

बताते चलें कि ट्रंप सरकार के इस फैसले पर कई डेमोक्रेट्स ने गहरी चिंता जताई जताई है. उनका मानना है कि मौजूदा समय में पहले से ही कई राजदूत पद खाली हैं और उस समय ऐसा कदम उठाना अमेरिकी कूटनीति को कमजोर कर सकता है. 

डेमोक्रेट सीनेटर जीन शाहीन ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन अमेरिका के ग्लोबल लीडर की भूमिका को कमजोर कर रहा है