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US न्याय विभाग ने जारी किया एपस्टीन आत्महत्या की कोशिश का वीडियो, फिर कर दिया रिमूव!

अमेरिकी न्याय विभाग एक शॉर्ट वीडियो को लेकर विवादों में घिर गया है. यह वीडियो जेफरी एपस्टीन सं संबंधित है. जानें क्या है पूरा मामला.

Shilpa Shrivastava
Jeffrey Epstein India Daily Live
Courtesy: X (@WatchChad)

नई दिल्ली: अमेरिकी न्याय विभाग तब विवादों में घिर गया, जब एक शॉर्ट वीडियो सामने आया. इस वीडियो का संबंध जेफरी एपस्टीन से है. यह वीडियो न्याय विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर एपस्टीन फाइल्स के नाम से जाने जाने वाले डॉक्यूमेंट्स और फोटोज के तौर पर अपलोड किया गया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो में 2019 में एपस्टीन की मौत से कुछ समय पहले उन्हें जेल की कोठरी में दिखाया गया था. हालांकि, जब यह वीडियो पोस्ट किया गया था, तब विभाग ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया था.

यह वीडियो क्लिप करीब 12 सेकेंड का था. इसमें मैनहट्टन के मेट्रोपॉलिटन करेक्शनल सेंटर में एक कोठरी के अंदर एक आदमी को दिखाया गया था जो एपस्टीन जैसा दिख रहा था. इस फुटेज पर एक टाइमस्टैम्प लगा है, जो 10 अगस्त 2019 का है. यह वीडियो तब का है, जब एपस्टीन को उनकी कोठरी में बेहोश पाए जाने से कुछ घंटे पहले का था. 

वीडियो की प्रमाणिकता पर उठे सवाल:

जैसे ही ये वीडियो सामने आई, उसके बाद इसकी प्रमाणिकता को लेकर कई सवाल उठने लगे. एक पोस्ट कहा गया कि यह वीडियो असली नहीं हो सकती है. यह फेक वीडियो है. वहीं, ऐसा भी कहा गया कि इस फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई थी. इस अलर्ट के बाद, न्याय विभाग ने वीडियो को अपनी वेबसाइट से हटा दिया. अब तक, DOJ ने कोई स्पष्ट बयान जारी नहीं किया है कि वीडियो कैसे अपलोड किया गया था या बाद में इसे क्यों हटाया गया.

एपस्टीन फाइल्स से हटाई गईथी ट्रंप की फोटो: 

यह घटना तब सामने आई, जब न्याय विभाग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक फोटो को एपस्टीन फाइल्स से संक्षिप्त रूप से हटाया था. अधिकारियों ने इसके बाद बताया कि फोटो पीड़ितों की गोपनीयता की रक्षा के लिए हटाई गई थी, न कि ट्रंप से जुड़े किसी मुद्दे के कारण. इसके बाद में तस्वीर को बहाल कर दिया गया.

अमेरिकी अधिकारियों ने लगातार कहा है कि जेफरी एपस्टीन ने संघीय सेक्स-ट्रैफिकिंग आरोपों में मुकदमे का इंतजार करते हुए जेल में आत्महत्या कर ली थी. फिर भी, उनकी मौत कई सालों से बहस और संदेह का विषय बनी हुई है. टूटे हुए सीसीटीवी कैमरे और जेल के अंदर उचित निगरानी की कमी जैसी समस्याओं ने जनता के संदेह को बढ़ाया है और कई षड्यंत्र सिद्धांतों को हवा दी है.

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