'अगर जंग हुई तो...', शांति वार्ता के फिर विफल होने पर अफगानिस्तान ने दी पाकिस्तान को बड़ी चेतावनी
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता फिर विफल हो गई है. दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच अफगानिस्तान ने कहा कि अगर जंग हुई तो वह आत्मरक्षा का अधिकार रखता है.
नई दिल्ली: तुर्की और कतर की मध्यस्थता में इस्तांबुल में हुई अंतिम दौर की बातचीत विफल रहने के बाद अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर वार्ता विफल करने का आरोप लगाया है. अफगान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि पाकिस्तान की अनुचित मांगों ने शांति प्रक्रिया को रोक दिया है और अगर जंग होती है तो अफगानिस्तान को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है.
मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान क्षेत्र में अस्थिरता नहीं चाहता और युद्ध उसकी पहली पसंद नहीं है, लेकिन यदि हालात बिगड़ते हैं तो हम अपने बचाव का अधिकार रखते हैं. उन्होंने एक लिखित बयान में दोहराया कि अफगानिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देगा, न ही अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करने वाली किसी कार्रवाई की अनुमति देगा.
पाक के रक्षा मंत्री ने क्या कहा?
वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वार्ता से पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर बातचीत विफल रही, तो केवल युद्ध ही बचेगा. मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'अगर वार्ता असफल होती है, तो नतीजा केवल जंग होगा.' यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
पाक के सूचना मंत्री ने क्या कहा?
शनिवार को आसिफ ने एक और बयान में कहा कि बातचीत अब समाप्त हो चुकी है और मौजूदा संघर्षविराम तब तक कायम रहेगा जब तक अफगान पक्ष की ओर से कोई उल्लंघन नहीं होता. पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने भी कहा कि पाकिस्तान शांति और स्थिरता को महत्व देता है, लेकिन अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा.
तुर्की ने संघर्षविराम को लेकर क्या कहा?
पिछले महीने तुर्की ने कहा था कि दोनों देशों के बीच संघर्षविराम पर सहमति बन गई है. इसके तहत एक मॉनिटरिंग और वेरिफिकेशन तंत्र बनाया गया था, जो शांति बनाए रखने और उल्लंघन करने वाले पक्ष पर दंड लगाने की जिम्मेदारी निभाएगा. लेकिन अब यह समझौता भी संकट में दिख रहा है.
कब से बढ़ा दोनों देशों में तनाव?
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव अक्टूबर से बढ़ा, जब काबुल में हुए दो धमाकों के लिए अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद तालिबान ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए और दावा किया कि उसने 58 पाक सैनिकों को मार गिराया. हालांकि पाकिस्तान ने केवल 23 सैनिकों की मौत की पुष्टि की.
किसके हस्तक्षेप से लगी थी हिंसा पर रोक?
सीमा पर हुई झड़पों के बाद दोनों देशों ने 48 घंटे के संघर्षविराम पर सहमति जताई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में पाकिस्तानी वायुसेना ने अफगान इलाके में हवाई हमले किए, जिनमें 10 लोगों की मौत हुई, जिनमें तीन अफगान क्रिकेटर भी शामिल थे. कतर और तुर्की के हस्तक्षेप के बाद ही हिंसा पर रोक लगी थी.