Yasin Malik Claims: यासीन मलिक के हलफनामे में नया खुलासा, आरएसएस, शंकराचार्यों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ गुप्त बातचीत का दावा
यासीन मलिक द्वारा तिहाड़ जेल में बंद रहते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में RSS नेताओं, शंकराचार्यों, पूर्व प्रधानमंत्री और सुरक्षा अधिकारियों के साथ संपर्कों का खुलासा हुआ है. इसमें 2000-01 के रमजान युद्धविराम में अपनी भूमिका और विभिन्न शांति प्रयासों का विवरण दिया है.
Yasin Malik Claims: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और दोषी आतंकवादी यासीन मलिक ने तिहाड़ जेल में बंद रहते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक हलफनामा में अपने कथित पुराने राजनीतिक और धार्मिक संपर्कों का खुलासा किया है. मलिक ने दावा किया कि उन्होंने कई बार विभिन्न धर्मगुरुओं, राजनीतिक नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की थी.
हलफनामे के अनुसार, मलिक ने कहा कि दो अलग-अलग शंकराचार्य उनकी श्रीनगर स्थित आवास पर कई बार आए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उनके साथ दिखाई दिए. उन्होंने 2011 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं के साथ पांच घंटे लंबी बैठक होने का भी दावा किया. इस बैठक का आयोजन दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर डायलॉग एंड रीकंसिलिएशन ने किया था.
यासीन मलिक ने उठाए सवाल
मलिक ने यह सवाल भी उठाया कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, क्यों कई प्रमुख हस्तियां मेरे संपर्क में आईं और मेरा समर्थन किया? उन्होंने कहा कि RSS के नेतृत्व और विवेकानंद इंस्टीट्यूट के चेयरपर्सन एडमिरल के.के. नायर ने भी उन्हें अपने निवास पर आमंत्रित किया. हलफनामे में मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रमजान बंदूकहीन युद्धविराम (2000-01) में अपनी भूमिका का भी उल्लेख किया. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने दिल्ली में अजीत डोवाल से मुलाकात की, जो उन्हें तत्कालीन IB निदेशक श्यामल दत्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा से मिलवाए. इसके अलावा, RK मिश्रा ने उन्हें वसंत विहार निवास में आमंत्रित किया और ब्रजेश मिश्रा के साथ नाश्ते की बैठक आयोजित की.
शांति प्रयासों का समर्थन
मलिक के अनुसार, उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में JKLF के जनरल सेक्रेटरी रफीक दर्र और संयुक्त जिहाद काउंसिल (UJC) प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन से बातचीत की और फिर हुर्रियत नेताओं सैयद अली शाह गिलानी, मिर्वाइज उमर फारूक और अब्दुल गनी लोने के समर्थन से युद्धविराम के लिए संयुक्त बयान तैयार करवाया. मलिक ने यह भी दावा किया कि वाजपेयी और तत्कालीन गृह मंत्री LK अडवानी ने उनके शांति प्रयासों का समर्थन किया और 2001 में उन्हें पहली बार पासपोर्ट भी दिया गया. इसके माध्यम से उन्होंने अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सऊदी अरब और पाकिस्तान की यात्रा की और 'अहिंसात्मक लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण संघर्ष' पर बातचीत की.
कश्मीर मुद्दे का समाधान
हलफनामे में उसने यह भी बताया कि फरवरी 2006 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा नई दिल्ली में औपचारिक संवाद के लिए आमंत्रित किया गया था. मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत कश्मीर मुद्दे का समाधान करने की पूरी कोशिश कर रहा है. यह दायर हलफनामा ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मलिक के खिलाफ आतंकवादी फंडिंग मामले में मौत की सजा की मांग की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मलिक को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है और अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी. सरकार ने मलिक पर भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने और जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी गतिविधियों से जुड़े होने का आरोप लगाया है.