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उपराष्ट्रपति बनना पसंद करेंगे या बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष? मनोहर लाल खट्टर ने सवाल का दिया जवाब

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार देर रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि धनखड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार कर BJP को नाराज कर दिया.

Sagar Bhardwaj

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर से जब पूछा गया कि वह उपराष्ट्रपति बनना पसंद करेंगे या भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, तो उन्होंने कूटनीतिक अंदाज में जवाब दिया. एक टीवी चैनल के प्रोग्राम में गुरुवार शाम को खट्टर ने कहा, "मैं कोई चयन नहीं करता. जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, मैं उसी के अनुसार काम करता हूं." अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने अपने अतीत का एक किस्सा साझा किया.

RSS के प्रचारक के रूप में पहली जिम्मेदारी

पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्री खट्टर ने अपने प्रारंभिक दिनों को याद किया, जब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक थे. उन्होंने बताया, "मेरी पहली जिम्मेदारी 1980 में फरीदाबाद में मिली. 1981 में जिला प्रचारक मुझसे मिलने आए. दो दिन की बैठक के बाद उन्होंने मुझे बस स्टैंड छोड़ने को कहा." खट्टर ने आगे कहा, "जब वह बस में चढ़ रहे थे, उन्होंने रुककर मुझसे कहा, 'मैं भूल गया था, तुम्हारा तबादला रोहतक हो गया है.' मैंने बस 'ठीक है' कहा." उन्होंने जोर देकर कहा, "मुझे क्या सोचना था? मैंने यह नहीं पूछा कि 'रोहतक क्यों?' जब भी मुझे कोई जिम्मेदारी दी जाती है, मैं उसे स्वीकार करता हूं. कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता. अगर मैं उपराष्ट्रपति या BJP अध्यक्ष नहीं बना, तो भी मेरे लिए काम की कमी नहीं होगी. मैं कुछ और ढूंढ लूंगा."

जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार देर रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि धनखड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार कर BJP को नाराज कर दिया. खट्टर ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "बिना सरकार पर भरोसा किए उन्होंने विपक्ष का प्रस्ताव स्वीकार किया. यह सरकार की रणनीति थी." 

BJP अध्यक्ष पद की चुनौती

BJP के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पिछले साल जून में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने के बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. सही उम्मीदवार का चयन एक जटिल कार्य है, क्योंकि पार्टी को जातिगत संतुलन और उत्तर-दक्षिण भाषाई विवाद को ध्यान में रखना होगा. खट्टर, हालांकि उत्तर प्रदेश से नहीं हैं, लेकिन RSS की संगठनात्मक मूल्यों को समझने के कारण इस पद के लिए उपयुक्त माने जा सकते हैं.