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कौन हैं कानपुर के श्रवण कुमार विश्वकर्मा? जानें कैसे तय किया टेंपो चालक से शंख एयरलाइंस तक का सफर

कानपुर के श्रवण कुमार विश्वकर्मा ने संघर्ष भरे जीवन से निकलकर शंख एयरलाइंस की शुरुआत की है. टेंपो चलाने से लेकर एयरलाइन मालिक बनने तक की उनकी कहानी मेहनत और हौसले की मिसाल है.

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Km Jaya

कानपुर: कानपुर के श्रवण कुमार विश्वकर्मा की कहानी आज देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है. कभी टेंपो चलाकर रोजी रोटी कमाने वाले श्रवण कुमार अब हवाई जहाज उड़ाने की तैयारी में हैं. उत्तर प्रदेश की पहली निजी एयरलाइन शंख एयरलाइंस के जरिए वह एविएशन सेक्टर में बड़ा कदम रखने जा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे श्रवण कुमार विश्वकर्मा का पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया. कभी टेंपो चलाया तो कभी ट्रांसपोर्ट से जुड़े छोटे मोटे काम किए. धीरे धीरे मेहनत और अनुभव के दम पर उन्होंने ट्रांसपोर्ट बिजनेस खड़ा किया.

कहां-कहां किया काम?

ट्रांसपोर्ट के बाद श्रवण कुमार ने सरिया, सीमेंट, माइनिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर में भी काम किया. ट्रकों का बड़ा बेड़ा खड़ा किया और यहीं से उनकी पहचान एक सफल कारोबारी के रूप में बनी. जमीन से जुड़े इस अनुभव ने उन्हें आम आदमी की जरूरतों को समझने में मदद की.

कब आया एविएशन सेक्टर में आने का विचार?

करीब तीन से चार साल पहले उनके मन में एविएशन सेक्टर में उतरने का विचार आया. श्रवण का मानना था कि भविष्य में हवाई यात्रा आम लोगों की जरूरत बन जाएगी. उन्होंने महसूस किया कि मध्यम वर्ग के लिए सस्ती और भरोसेमंद एयरलाइन की कमी है. इसी सोच से शंख एयरलाइंस का जन्म हुआ.

कब मिला शंख एयरलाइंस को सर्टिफिकेट?

शंख एयरलाइंस को 24 दिसंबर को नागरिक उड्डयन मंत्रालय से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिला है. यह उत्तर प्रदेश की पहली निजी एयरलाइन होगी. शुरुआत में एयरलाइन एयरबस ए320 विमानों से उड़ान भरेगी. पहले चरण में तीन विमान शामिल होंगे और आने वाले वर्षों में बेड़े को 25 विमानों तक बढ़ाने की योजना है.

श्रवण कुमार का दावा है कि उनकी एयरलाइन में डायनामिक प्राइसिंग नहीं होगी. त्योहार, भीड़ या मांग बढ़ने पर भी टिकट के दाम अचानक नहीं बढ़ेंगे. उनका फोकस मध्यम वर्ग पर रहेगा ताकि आम लोग भी हवाई सफर कर सकें.

कहां होगा हेड ऑफिस?

शंख एयरलाइंस का हेड ऑफिस लखनऊ में होगा और पहली उड़ान उत्तर प्रदेश से ही शुरू होगी. कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर जैसे शहरों को देश के बड़े महानगरों से जोड़ने की योजना है. टेंपो से टेक ऑफ तक का यह सफर आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है.