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Sharia Law: क्या है शरिया कानून जिससे लोगों को डरा रहे हैं योगी आदित्यनाथ?

Sharia Law Explained: योगी आदित्यनाथ इन दिनों अपनी रैलियों में दावा कर रही हैं कि अगर इस बार कांग्रेस की सरकार बन गई तो वह पूरे देश में शरिया कानून लागू कर देगी.

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'कांग्रेस की सरकार बनेगी तो शरिया कानून लागू कर देगी...', ऐसा कहना है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का. अपनी चुनावी रैलियों में योगी आदित्यनाथ दावा कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस और INDIA गठबंधन की केंद्र में सरकार बन गई तो शरिया कानून लागू कर दिया जाएगा. योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि वह ओबीसी और एससी-एसटी के हक का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को दे रही है. योगी आदित्यनाथ का यह बयान पीएम मोदी के उस भाषण के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में कहा है कि वह लोगों की संपत्तियों का सर्वे करवाएगी और उसे बांट देगी. 

इस बयान के बाद विपक्षी पार्टियों ने भी जमकर हंगामा मचाया. दरअसल, सीएम योगी ने आरोप लगाए थे कि सत्ता में आने पर कांग्रेस पार्टी मुस्लिम पर्सनल लॉ यानी शरिया कानून को लागू करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी तालिबानी विध्वंस का समर्थन करती है. शरिया कानून को लेकर कई बार देश में बहस होती रहती है. क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों इस कानून को लेकर इतना विवाद होता है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

क्या है शरिया कानून?

कुछ साल पहले ही अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद वहां शरिया कानून लागू कर दिया गया है. इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर देखने को मिल रहा है. दरअसल, शरिया कानून में कुछ अपराधों के लिए वीभत्स सजा दी जाती है. कुछ मामलों में बेहद क्रूर तरीके से मौत की सजा के प्रावधान भी हैं.

दरअसल, शरिया कानून इस्लाम धर्म की एक कानूनी व्यवस्था है. इसे इस्लाम के विद्वानों की ओर से अलग-अलग समय पर अलग-अलग अपराधों के लिए जारी किए गए फतवों को मिलाकर बनाया गया है. यह कानून बताता है कि अल्लाह के मुताबिक किस तरह जीवन जीना चाहिए, क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. मूलरूप से यह नैतिक आचरण, दुआ और दान से जुड़ी है. वहीं, एक अन्य हिस्सा अपराध से भी जुड़ा है.

शरिया कानून में अपराधों को दो श्रेणी में रखा जाता है- एक हद, दूसरी तज़ीर. हद में गंभीर अपराध होते हैं जिनमें सीधे सजा दी जाती है. वहीं, तज़ीर में जज के फैसले के आधार पर सजा दी जाती है. हद के तहत चोरी जैसे अपराध होते हैं लेकिन सजा बेहद क्रूर होती है उदाहरण के लिए चोरी करने वाले के हाथ काटने की सजा दी जा सकती है. कहीं-कहीं ऐसे अपराधों के लिए सार्वजनिक तौर पर पत्थर मारने की सजा भी दी जाती है.

भारत में कब और कैसे आया शरिया कानून?

भारत में मुस्लिमों के लिए लागू मुस्लिम पर्सनल लॉ ऐक्ट के तहत मुसलमानों की शादी, तलाक और अन्य पारिवारिक मामलों पर फैसले लिए जाते हैं. परोक्ष रूप से इस कानून पर शरिया का प्रभाव है. इसकी शुरुआत साल 1937 में हुई. इस कानून के तहत महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों में कई तरह की खामियां भी पाई जाती हैं. बीजेपी जिस यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की वकालत कर रही है उससे इस कानून पर भी असर पड़ सकता है.

ऐसे कानूनों के चलते ही कुछ दिशों में महिलाओं को शिक्षा, नौकरी और अन्य मूलभूत अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है. हालांकि, शरिया कानून भी अलग-अलग देश में अलग तरीके से लागू होते हैं. उदाहरण के लिए अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने महिलाओं के अकेले बाहर निकलने, पढ़ाई करने जाने, पार्क में घूमने और नौकरी पर जाने पर रोक लगा दी है.

शरिया कानून के मुताबिक, शराब पीना, चोरी करना, धर्म बदलना, किसी पर झूठा इल्जाम लगाना, व्यभिचार करना, हत्या करना गंभीर अपराधों की श्रेणी में आता है. मौजूदा समय में सऊदी अरब, ईरान, नाइजीरिया, ब्रूनेई, इंडोनेशिया और यूएई जैसे देशों में शरिया लागू है.