Phulpur Lok Sabha Seat: प्रधानमंत्रियों की सीट पर नए नवेलों की जंग, फूलपुर में कैसा है इस बार का चुनाव
Phulpur Lok Sabha Seat: यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट भले ही दिग्गजों की सीट रही हो लेकिन इस बार यहां का चुनाव जातीय समीकरण के आधार पर होने जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के अंतर्गत आने वाली लोकसभा सीट को अगर देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. इसी सीट ने देश को दो-दो प्रधानमंत्री दिए हैं. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) की लहर में समाजवादी नेता को जीत दिलाई है. माफिया से नेता बने अतीक अहमद को संसद पहुंचाया है तो एकसाथ दो-दो सांसद भेजने वाली सीट भी बनी दिग्गजों की सीट कही जाने वाली फूलपुर में इस बार नए-नवेलों की जंग हो रही है. हर पार्टी ने इस बार बड़े नामों के बजाय नए और जाति के हिसाब से फिट बैठने वाले नेताओं को संसदीय चुनाव में उतारा है.
बीजेपी ने अपनी मौजूदा सांसद केशरी देवी पटेल का टिकट काटकर प्रवीण पटेल को चुनाव में उतारा है. समाजवादी पार्टी ने इस बार ओबीसी कैटगरी से अमरनाथ मौर्य को टिकट दिया है तो बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी कुर्मी वोट को ध्यान में रखते हुए डॉ. जगन्नाथ पटेल को टिकट दिया है. अभी पल्लवी पटेल या कृष्णा पटेल भी इसी सीट से चुनाव में उतर सकती हैं. ऐसे में इस बार फूलपुर लोकसभा सीट का चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है.
क्या है फूलपुर का समीकरण?
फूलपुर लोकसभा क्षेत्र को जाति के नजरिए से देखें तो यहां सबसे ज्यादा कुर्मी मतदाता हैं. कुर्मी वोट के बाद दलितों, मुस्लिमों और यादव मतदाताओं की संख्या भी अच्छी-खासी है. सपा से राहें जुदा होने के बाद अपना दल (कमेरावादी) AIMIM के समर्थन से यहां चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. उनके पति और अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल इसी सीट से चुनाव लड़ते रहे थे. ऐसे में उनकी पत्नी इस सीट पर अपना दावा ठोंक रही हैं.
विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 सीटें हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर सपा को जीत मिली थी. बाकी की चारों सीटों पर बीजेपी ने परचम लहराया था. हालांकि, इस बार लोकसभा के चुनाव में समीकरण बदले नजर आ रहे हैं. अगर कुर्मी वोट बंटते हैं और समाजवादी पार्टी यादव और मुस्लिमों के साथ-साथ अन्य ओबीसी वोट को साध पाती है तो उसके लिए अच्छी उम्मीदें हो सकती हैं.
दिग्गजों की सीट रही है फूलपुर
देश में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर दो-दो उम्मीदवार चुने गए थे. फूलपुर सीट पर भी 1952 और 1957 में पंडित जवाहर लाल नेहरू और मसुरिया दीन सांसद चुने गए. पंडित नेहरू के निधन के बाद उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित दो बार यहां से सांसद बनीं. 1969 में जनेश्वर मिश्रा तो 1971 में वी पी सिंह भी फूलपुर से सांसद बने. साल 2004 में माफिया अतीक अहमद ने भी इस सीट से जीत हासिल की और संसद पहुंचा. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी साल 2014 में इसी सीट से सांसद बने थे.