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क्या होते हैं सांसदों के अधिकार, सड़क से सदन तक, कितनी होती है ताकत?

एक सांसद के पास कई तरह की शक्तियां होती हैं. कई अधिकार होते हैं. सड़क से लेकर सदन तक, उनके अधिकारों को लेकर संविधान बेहद स्पष्ट है. सांसद का अधिकार क्षेत्र क्या है, कौन-कौन से उसके संसदीय अधिकार होते हैं, अपने लोकसभा क्षेत्र में सांसद की ताकत क्या होती है, आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.

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18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो गया है. पीएम मोदी ने सोमवार को तीसरी बार सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली. मोदी के बाद उनकी कैबिनेट के लोकसभा सांसदों ने शपथ ली. लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे ज्यादा सांसद बीजेपी के पास हैं. वहीं उसके गठबंधन एनडीए के पास बहुमत से ज्यादा कुल 293 सांसद हैं. इंडिया अलायंस के 234 सीट हैं. कभी सोचा है कि सांसद के संसदीय और क्षेत्रीय अधिकार क्या होते हैं, उनका वेतन कितना होता है, संसद के सदनों में उनकी जिम्मेदारियां क्या होती हैं.

सिर्फ इतना ही नहीं, आखिर इन सांसदों को सैलरी कितनी मिलती है. उनकी संवैधानिक शक्तियां क्या होती हैं, सरकार गठन में उनका रोल क्या होता है, आखिर एक सासंद का क्या काम होता है, आइए समझते हैं.

सांसद के क्या-क्या काम?

  • सांसद का काम कानून बनाना है. साथ ही उसे संशोधित करना सांसदों का मेन काम होता है. 
  • सरकार की नीतियों पर नजर रखना और उसकी समीक्षा करना सांसद का काम होता है. 
  • अपने क्षेत्र के लोगों की समस्या को संसद में उठाना और उनकी चिंताओं को सुनना. 
  • सांसद के पास सरकार के कामकाज से संबंधित सवाल पूछने का अधिकार.
  • सरकार पर नजर रखना, सरकार को सलाह देना और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भागीदारी रखना.

सांसद की शक्तियां

  • संसद में प्रस्तावित कानूनों पर मतदान करने का अधिकार.
  • संसद में होने वाली बहस में भाग लेने का अधिकार.
  • सरकार के कामकाज से संबंधित सवाल पूछने का अधिकार. 

सांसद कितनी मिलती है सैलरी

एक लोकसभा सांसद का मूल वेतन एक लाख रुपये होता है. इसके अलावा सांसदों को कई तरह के भत्ते भी दिए जाते हैं. जिसमें 2000 रुपये दैनिक भत्ता, 70 हजार हर महीने निर्वाचन भत्ता, 60 हजार रुपये हर महीने कार्यालय भत्ता और टेलीफोन, आवास, पानी बिजली, पेंशन, यात्रा भत्ता जैसी सुविधाएं शामिल हैं. वहीं राज्यसभा के सांसदों की सैलरी की बात करें तो इन्हें हर महीने 2 लाख 10 हजार रुपये मिलते हैं. इस पैसे में 20 हजार रुपये ऑफिस के खर्च के होते हैं. जबकि, मूल सैलरी की बात करें तो ये 1 लाख 90 हजार रुपये होती है.