वंदे मातरम या चुनावी सुधार? संसद में बनी अनोखी सहमति से बदल सकता है पूरे सत्र का खेल
लोकसभा में गतिरोध के बीच सभी दल 150 वर्ष पूरे कर रहे ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा और उसके बाद दो दिन की चुनावी सुधार बहस पर सहमत हुए. हालांकि विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) पर विपक्ष समयबद्ध आश्वासन की मांग पर अड़ा है.
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को जोरदार टकराव के साथ शुरू हुआ, जब विपक्ष ने तुरंत चुनावी सुधारों पर बहस की मांग करते हुए सदन की कार्रवाई बाधित कर दी.
लेकिन मंगलवार को एक महत्वपूर्ण सहमति सामने आई- लोकसभा के फ्लोर लीडर्स ने अगले सोमवार को ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्षों पर चर्चा और 8-9 दिसंबर को चुनावी सुधारों पर बहस कराने पर हामी भर दी. इसके बावजूद SIR पर समयबद्ध चर्चा को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच अविश्वास कायम है.
वंदे मातरम् पर सहमति से सत्र में नई उम्मीद
मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा के लिए अपनी मंजूरी दे दी. कांग्रेस के प्रमुख मुख्य सचेतक के. सुरेश ने बताया कि यह चर्चा अगले सोमवार को होगी, जबकि 8 और 9 दिसंबर को दो दिन की बहस चुनावी सुधारों पर होगी. दिलचस्प रूप से तृणमूल कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया.
पहले वंदे मातरम्, फिर चुनावी सुधार
सरकार शुरू से चाहती थी कि चुनावी सुधार या विशेष गहन संशोधन (SIR) पर बात करने से पहले ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा हो. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी नेताओं से मुलाकात के दौरान कहा कि चुनावी सुधारों पर चर्चा निश्चित रूप से होगी, लेकिन विपक्ष बहस की तारीख पर दबाव नहीं बना सकता. सरकार का तर्क है कि सदन का समय और एजेंडा प्रक्रियागत नियमों के अनुसार ही तय किया जाएगा.
SIR चर्चा को टालने की कोशिश
विपक्ष का कहना है कि सरकार SIR पर तत्काल चर्चा से बच रही है. तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने बैठक के बाद कहा कि सरकार को स्पष्ट घोषणा करनी चाहिए कि SIR पर चर्चा बुधवार को होगी, लेकिन ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया. कांग्रेस के जयराम रमेश ने भी कहा कि सरकार की तरफ से तारीख को लेकर कोई भरोसेमंद संकेत नहीं मिला है, जिससे अविश्वास और बढ़ गया है.
राज्यसभा में SIR को लेकर हंगामा जारी
राज्यसभा में स्थिति और तूल पकड़ गई, जहां कांग्रेस, तृणमूल और डीएमके के सांसद वेल में उतरकर SIR पर निश्चित तारीख तय करने की मांग करते रहे. विपक्ष ने तर्क दिया कि SIR में जुड़े 28 ब्लॉक लेवल अधिकारियों की मृत्यु होने की खबर के बाद इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा होना अनिवार्य है. विपक्ष का कहना है कि यह सिर्फ प्रक्रिया का विषय नहीं, बल्कि मानवीय मामला भी है.
सोमवार को शुरू हुआ सत्र
शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को ही भारी तनाव दिखाई दिया था. विपक्ष ने शुरू से ही चुनावी सुधारों पर चर्चा को प्राथमिकता बनाने की मांग उठाई और सदन की कार्यवाही बाधित की. सरकार ने आश्वासन दिया कि वह मांग पर विचार करेगी, लेकिन विपक्ष ने इसे पर्याप्त नहीं माना. इस माहौल में किसी भी विधायी कार्य को आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया था.
समझौते से लोकसभा की कार्यवाही सुचारु होने की उम्मीद
लोकसभा में मंगलवार की सहमति को संसदीय कामकाज के लिए अहम माना जा रहा है. स्पीकर ओम बिड़ला की बैठक में बनी सहमति से उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सत्र अधिक सुचारु रूप से चलेगा. सरकार चाहती है कि बहसें समयबद्ध तरीके से हों, जबकि विपक्ष चाहता है कि गंभीर मुद्दों पर चर्चा को प्राथमिकता मिले. इस बीच राज्यसभा में चर्चाओं की तारीखों पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है.
महत्वपूर्ण बहस अगले सप्ताह में न खिसक जाए
विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार SIR पर चर्चा को अगले सप्ताह तक आगे बढ़ाना चाहती है, जब सत्र में बहुत कम समय बचेगा. विपक्ष मानता है कि इससे बहस अधूरी रह जाएगी. एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने बिना नाम बताए कहा कि सरकार जानबूझकर समय टाल रही है ताकि सुधारों पर गंभीर बहस से बचा जा सके. हालांकि सरकार इस आरोप को खारिज करती है और कहती है कि तारीख का निर्णय नियमों के अनुसार होगा.
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