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'जन आक्रोश रैली के दौरान क्यों बढ़ा तनाव, कैसे हैं अब हालात?', उत्तरकाशी के SP ने क्या बताया?

Uttarkashi Mosque Case: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर एक दिन पहले हुए हिंदू संगठन के विरोध प्रदर्शन रैली में जमकर बवाल हुआ. आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की टीम पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हल्का बल प्रयोग किया. इस दौरान पुलिस के कुछ जवान और कुछ प्रदर्शनकारी घायल हो गए. आइए, जानते हैं कि आखिर जन आक्रोश रैली में दौरान क्यों तनाव बढ़ा और अब वहां हालात कैसे हैं?

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Edited By: Om Pratap
Uttarkashi mosque case
Courtesy: Uttarkashi Police/ X

Uttarkashi Mosque Case: उत्तरकाशी में गुरुवार को भड़की हिंसा में पुलिस के 8 जवान घायल हो गए और मुसलमानों की कई दुकानों में तोड़फोड़ की गई. ये हिंसा तब भड़की जब पुलिस ने दक्षिणपंथी समूहों के सदस्यों और स्थानीय लोगों को 55 साल पुरानी मस्जिद तक पहुंचने से रोकने की कोशिश की, जिसे उन्होंने पहले गिराने की धमकी दी थी.

प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मस्जिद 'अवैध रूप से बनाई गई' थी, जबकि जिला प्रशासन ने हाल ही में घोषणा की थी कि मस्जिद 1969 में कानूनी रूप से रजिस्टर्ड थी. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों के जिद पर अड़ने के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और बाद में फ्लैग मार्च करना पड़ा, क्योंकि मस्जिद तक पहुंचने में असमर्थ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया था.

घटना को लेकर क्या बोले उत्तरकाशी के एसपी?

उत्तरकाशी के एसपी अमित श्रीवास्तव ने कहा कि अभी तक कोई औपचारिक मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच चल रही है. श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की ओर से पथराव शुरू करने के बाद पुलिस ने उचित कार्रवाई की, जिसमें चार अधिकारी घायल हो गए. हम हिंसा में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए वीडियो और सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर रहे हैं और जल्द ही मामला दर्ज किया जाएगा.

बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और 'संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ उत्तराखंड' के तहत अन्य संगठनों के सदस्यों ने प्रशासन के बयान को खारिज कर दिया, कहा कि मस्जिद पर जिले के आधिकारिक स्पष्टीकरण में केवल उस भूमि को शामिल किया गया है जिस पर यह बनी है. एक बयान में, समूह ने कहा कि हमारे पास मस्जिद को अवैध साबित करने के लिए सभी दस्तावेज हैं और जल्द ही उन्हें लोगों के साथ शेयर करेंगे.

एसपी ने बताया कि एक दिन पहले एक हिंदू संगठन की ओर से रैली निकाली गई थी, जिसे प्रशासन की ओर से अनुमति दी गई थी. रैली का रूट वगैरह तय किया गया था. संगठन के लोग तय किए गए रूट से न जाकर दूसरे रूट से जाने की जिद पर अड़ गए. पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन इसी दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस को हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर करना पड़ा. 

एसपी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की ओर से किए गए पथराव में कुल 8 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं हैं.उन्होंने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारियों को भी चोटें आई हैं, लेकिन उनकी लिस्ट अभी सामने नहीं आई है. उन्होंने बताया कि पूरे उत्तरकाशी जनपद में BNSS की धारा 163 लागू कर दी गई है. उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित श्रीवास्तव ने कहा कि पथराव की घटना को गंभीरता से लिया गया है और इसकी जांच की जा रही है. आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

10 सितंबर को दक्षिणपंथी संगठनों ने निकाली थी रैली

इससे पहले इसी साल 10 सितंबर को टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि इन दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने जामा मस्जिद को गिराने और आस-पास रहने वाले मुस्लिम परिवारों को बाहर निकालने की मांग करते हुए अपनी पहली विरोध रैली की. 

प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को बड़ी 'जनाक्रोश' रैली की योजना की भी घोषणा की थी. अशांति की आशंका को देखते हुए पुलिस ने मस्जिद और आस-पास के इलाकों में भारी सुरक्षा तैनात कर दी थी. प्रदर्शनकारियों को मस्जिद तक पहुँचने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए थे.

घटना को लेकर नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय ने दी ये जानकारी

नाम न बताने की शर्त पर एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि प्रदर्शनकारी सुबह 9 बजे हनुमान चौक पर इकट्ठा होने लगे और दोपहर तक उनकी संख्या बढ़ गई. वे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ नारे लगा रहे थे और दावा कर रहे थे कि उत्तरकाशी में मस्जिद के लिए कोई जगह नहीं है.

80 सालों से मस्जिद के पास रहने वाले एक अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य ने बताया कि प्रशासन की ओर से मस्जिद की वैधानिकता की पुष्टि करने के बावजूद, प्रदर्शनकारियों ने अपनी रैली निकाली. उन्होंने पुलिस पर भी हमला किया और मुसलमानों की कम से कम चार दुकानों में तोड़फोड़ की. 

अल्पसंख्यक समुदाय के शख्स ने कहा- हम डर में जी रहे हैं

अल्पसंख्यक समुदाय के शख्स ने कहा कि हम डर में जी रहे हैं. हम बस शांति से जीना और अपनी आजीविका कमाना चाहते हैं. देहरादून स्थित मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफल रहने के लिए अधिकारियों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि ये रैली कानून और व्यवस्था के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा दिखाती है.

प्रशासन के फैसले की अनदेखी की गई और हिंसा तनाव पैदा करने और हिंदू राष्ट्र के लिए दबाव बनाने के एजेंडे का हिस्सा है. हम मांग करते हैं कि संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि अल्पसंख्यक उत्तराखंड में समान नागरिक के रूप में सुरक्षित रह सकें.