अमेरिका से भारत के लिए आई खुशखबरी, ट्रंप ने कृषि उत्पादों पर घटाया टैरिफ
अमेरिका ने करीब 200 खाद्य और कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क घटाए हैं, जिससे भारतीय मसाला और चाय निर्यातकों को बड़ा फायदा मिलेगा. यह कदम बढ़ती घरेलू कीमतों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित बड़े टैरिफ कटौती फैसले ने भारत के मसाला, चाय और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यातकों के लिए नए अवसर खोल दिए हैं. वॉशिंगटन ने लगभग 200 खाद्य व कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम किया है, ताकि अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बढ़ती कीमतों का दबाव घटाया जा सके.
इस सूची में भारत के कई लोकप्रिय निर्यात उत्पाद शामिल हैं, जिनका अमेरिका में अच्छा बाज़ार है. हालांकि, कुछ बड़े उत्पाद जैसे समुद्री खाद्य और बासमती चावल अब भी छूट के दायरे से बाहर हैं.
भारतीय मसाला कारोबारियों को होगा फायदा
नई शुल्क व्यवस्था में काली मिर्च, लौंग, जीरा, इलायची, हल्दी, अदरक और कई प्रकार की चाय जैसे भारतीय उत्पाद शामिल हैं. 2024 में अमेरिका को भारत ने 500 मिलियन डॉलर से अधिक मसालों का निर्यात किया, जबकि चाय और कॉफी का निर्यात 83 मिलियन डॉलर के करीब रहा. विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ कटौती से इन श्रेणियों में भारतीय शिपमेंट और मजबूत हो सकते हैं.
प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को सबसे अधिक फायदा
दिल्ली के अधिकारियों के अनुसार लगभग 50 प्रकार के प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को सबसे अधिक फायदा मिलेगा. पिछले वर्ष ये उत्पाद लगभग 491 मिलियन डॉलर के निर्यात मूल्य तक पहुंचे थे. इसमें कॉफी-चाय एक्सट्रैक्ट, कोको आधारित खाद्य, फलों के रस, पल्प, आम से बने उत्पाद और वेजिटेबल वैक्स शामिल हैं. मसाले, जिनका निर्यात 359 मिलियन डॉलर रहा, इस रियायत के दूसरे बड़े लाभार्थी होंगे.
बड़े कृषि कारोबारियों को राहत नहीं
हालांकि राहत व्यापक है, लेकिन झींगा, अन्य समुद्री खाद्य और बासमती चावल जैसी भारत की प्रमुख कृषि आय श्रेणियां इस सूची से बाहर हैं. इसी तरह रत्न, आभूषण और परिधान पर भी 50% अमेरिकी आयात शुल्क बरकरार है. इन पर किसी बड़े व्यापार समझौते के बाद ही निर्णय संभव है.
घरेलू दबाव के चलते लिया फैसला
ट्रंप प्रशासन पर बढ़ती घरेलू नाराजगी का असर भी इस निर्णय में झलकता है. अमेरिका में जीवन-यापन लागत बढ़ने से मतदाताओं में असंतोष दिखाई दे रहा है. इसे शांत करने के लिए ट्रंप प्रशासन ने न केवल टैरिफ कम किए, बल्कि 2,000 डॉलर की रिबेट देने और मांस उद्योग की जांच शुरू करने जैसे कदमों पर भी विचार किया है.