Political Parties Income: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR की नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पंजीकृत मगर अप्रत्याशित राजनीतिक दलों की घोषित आय में 223 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. हालांकि, इनमें से 73 प्रतिशत से अधिक दलों ने अपनी वित्तीय जानकारी सार्वजनिक नहीं की, जिससे पारदर्शिता और नियामकीय निगरानी पर गंभीर सवाल उठते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 739 पंजीकृत अप्रत्याशित पार्टियों की वार्षिक लेखा और योगदान रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया, जो देश के 22 राज्यों में फैली हैं. इन पार्टियों में से केवल 26.74 प्रतिशत की रिपोर्ट राज्य चुनाव अधिकारियों की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
2022-23 में कुल 2025 पार्टियों ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की, जो कुल का 73.26 प्रतिशत है. सबसे ज्यादा रिपोर्ट वाली पार्टियां उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार से हैं, जहां इनका पंजीकरण भी सबसे अधिक है. वहीं, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में किसी भी पार्टी की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है.
गुजरात में स्थित पार्टियों ने सबसे अधिक घोषित आय दिखाई है. टॉप 10 पार्टियों की कुल घोषित आय में से 73.22 प्रतिशत आय गुजरात की पार्टियों से आई है, जिसकी कुल राशि ₹1158.11 करोड़ रही. इनमें से ₹957.44 करोड़ की आय अकेले ‘भारतीय नेशनल जनता दल’ ने घोषित की है.
न्यू इंडिया यूनाइटेड पार्टी ने अपनी संपूर्ण आय को बड़े दानदाताओं (₹20,000 से ऊपर) से बताया है, जो ₹407.45 करोड़ है. कई टॉप कमाई करने वाली पार्टियां 2015 के बाद बनी हैं, जैसे सत्यवादी रक्षक पार्टी (2022), जन मन पार्टी (2021), और आम जनमत पार्टी (2020).
आश्चर्यजनक रूप से, आम जनमत पार्टी की आय ₹8,000 (2020-21) से बढ़कर ₹220.36 करोड़ (2022-23) हो गई. यही हाल सौराष्ट्र जनता पक्ष का रहा जिसने दो साल तक कोई कमाई नहीं दिखाई और फिर ₹131.31 करोड़ की रिपोर्ट दी. ADR ने निर्वाचन आयोग से इन दलों की नियमित जांच करने, पांच वर्षों से निष्क्रिय दलों को सूची से हटाने, और टैक्स छूट से पहले वित्तीय रिपोर्ट अनिवार्य करने की सिफारिश की है.