menu-icon
India Daily

कैश कांड में फंसे जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाया जाएगा महाभियोग, कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने की तस्वीर साफ

केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा,''इस दिशा में कदम उठाए हैं, वहीं सरकार इसमें शामिल नहीं रही है. "संविधान संसद को हटाने का प्रस्ताव लाने की अनुमति देता है, लोकसभा में 100 या अधिक सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं, और राज्यसभा में 50 या अधिक सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं. इसलिए, यह पूरी तरह से सांसदों का मामला है, सरकार का नहीं.

auth-image
Edited By: Mayank Tiwari
Union Minister Arjun Ram Meghwal
Courtesy: X@arjunrammeghwal

 केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार (18 जुलाई) को कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ आगामी संसद सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में सरकार की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “यदि जस्टिस यशवंत वर्मा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का रुख कर रहे हैं, तो यह उनका विशेषाधिकार है. सांसदों द्वारा उठाया गया दूसरा मुद्दा भी सरकार से संबंधित नहीं है. वास्तव में, दोनों मुद्दों में सरकार का सीधा कोई हस्तक्षेप नहीं है.

”इन-हाउस कमेटी की जांच और निष्कर्ष

पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित एक इन-हाउस कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच पूरी कर ली है और अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा तैयार 25 पेज की यह रिपोर्ट अब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है. रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर 14 मार्च को हुए एक अग्निकांड के बाद आंशिक रूप से जली हुई नकदी से भरे बोरे मिलने का उल्लेख है. यह आग लुटियंस दिल्ली में उनके आवास पर बिजली की खराबी के कारण लगी थी.

जस्टिस वर्मा का खंडन

जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने दावा किया कि न तो उनके और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोररूम में कोई नकदी रखी थी. वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने और 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश खन्ना द्वारा उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश को चुनौती दी है.

संसद की शक्ति और सांसदों की भूमिका

मेघवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को हटाने का अधिकार संसद के पास है. इसके लिए लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों या राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं. “संविधान संसद को हटाने का प्रस्ताव लाने की अनुमति देता है. लोकसभा में 100 या अधिक सांसदों और राज्यसभा में 50 या अधिक सांसदों को हस्ताक्षर करना होगा. यह पूरी तरह सांसदों का मामला है, सरकार का नहीं,” मेघवाल ने कहा. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने का संकेत दिया है.

मानसून सत्र में होगी चर्चा

केंद्र की मोदी सरकार 21 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में यह महाभियोग प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रही है. यह मामला न केवल न्यायिक जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि संसद की शक्ति को भी रेखांकित करता है.