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UCC: कैसे पूरे देश में लागू होगी समान नागरिक संहिता, सामने आया BJP का रोडमैप

Uniform Civil Code: एक समान नागरिक संहिता बिल भाजपा के लिए उत्तराखंड से शुरू होकर अन्य राज्यों में भी लागू हो सकता है. बिल से भाजपा को राजनीतिक फायदा भी होने जा रहा है.

Antriksh Singh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी विधेयक पास करके भारतीय राजनीति में एक बड़ी हलचल पैदा की है. यूसीसी भाजपा के लिए चुनाव का वो एजेंडा साबित हो सकता है जिसके दम पर वो अपने जनाधार को बढ़ाने और उसको सकारात्मक तरीके से प्रभावित करने का विचार बनाकर चल रही है. 

यूसीसी बिल और भाजपा

उत्तराखंड में भाजपा के चीफ मिनिस्टर पुष्कर सिंह धामी हैं. उत्तराखंड के बाद भाजपा शासित अन्य राज्यों में भी इस तरह का विधेयक पेश किया जा सकता है. यूसीसी के जरिए उत्तराखंड में एक तरह का परीक्षण किया जा रहा है जिसमें भाजपा को दो तरह के फायदे होंगे- पहला तो ये कि विधेयक लागू करने में आने वाली अड़चने, दुविधाएं, दिक्कतें, कानूनी जटिलताओं को समझा जा सकेगा और दूसरे ये कि अपने वोटरों को बताया जा सकेगा कि बीजेपी जो कहती है वह करती भी है.

आज का नहीं है ये मामला

असल में पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता आज की बात नहीं है. यह भाजपा और संघ का बहुत पुराना एजेंडा रहा है. इतना पुराना कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में ही इसकी पैरवी कर दी थी. हालांकि तब उनके शब्द इतने तकनीकी नहीं थे लेकिन भावनाएं वही थीं जो यूसीसी बिल में है. 

भाजपा ने माहौल पहले ही बना दिया था

ये भी समझना गलत ही है कि भाजपा ने यूसीसी बिल सीधा उत्तराखंड में पेश कर दिया. असल में पहले ही माहौल बनाना शुरू कर दिया गया था. कई बार संसद में प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर यूसीसी लाया गया. पिछले साल ही पीएम ने मध्य प्रदेश में अपने दौरे के दौरान कहा था कि एक परिवार हो तो दो कानून नहीं हो सकते. 

बाकी राज्यों में लाने की तैयारी

जाहिर है यूसीसी लोकसभा के महासमर में भाजपा का बड़ा मुद्दा होने के पूरे आसार रहेंगे. बिल को लेकर लॉ कमिशन अपना काम कर रहा है. जब कमिशन ने लोगों की राय जानी तो आदिवासी समुदायों की गुहार थी कि बिल से उनको छूट मिलनी चाहिए. उत्तराखंड में आदिवासी समुदायों को छूट दी गई है. 

उत्तराखंड में ये बिल इसलिए भी सफल हो सकता है क्योंकि वहां अधिकतर आबादी हिंदू है. यहां कई तीर्थस्थल हैं और चारधाम भी हैं.  मुस्लिम आबादी 13 प्रतिशत है. यूसीसी के लिए परिस्थितियां भले ही यहां अनुकूल हैं पर फिर भी ये देखना दिलचस्प होगा कि इसको कैसी प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. 

कुल मिलाकर, उत्तराखंड में यूसीसी बिल से काफी कुछ पता लग सकेगा. इसके बाद बीजेपी के पास गुजरात, असम सहित अन्य राज्यों में बिल लागू करने के लिए और स्पष्टता होगी. बीजेपी इन राज्यों में अपनी सरकार होने के चलते यूसीसी लाने की बात कर चुकी है.