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'माफ करना, मैं इनके साथ नहीं रह सकती', महिला ने चींटियों के डर से किया सुसाइड, माफीनामा देख सबके उड़ गए होश

तेलंगाना में एक 25 वर्षीय महिला ने चींटियों के डर से आत्महत्या कर ली. वह मायर्मेकोफोबिया से पीड़ित थी और पहले भी इलाज करा चुकी थी. सफाई करते समय चींटियां देखने के बाद उसने घबराकर फांसी लगा ली.

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Edited By: Km Jaya
Fear of ants India daily
Courtesy: Pinterest

संगारेड्डी: तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां 25 वर्षीय महिला ने चींटियों के डर से आत्महत्या कर ली. पुलिस के अनुसार महिला बचपन से मायर्मेकोफोबिया यानी चींटियों से डर की मानसिक स्थिति से पीड़ित थी और इसके लिए पहले भी इलाज करा चुकी थी.

यह दर्दनाक घटना मंगलवार को हुई जब महिला ने अपनी तीन वर्षीय बेटी को रिश्तेदारों के घर छोड़ा था, ताकि वह घर की सफाई कर सके. उसका पति सुबह काम पर चला गया था और शाम करीब 5:30 बजे घर लौटा तो उसने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है. पड़ोसियों की मदद से जब दरवाजा तोड़ा गया, तो भीतर महिला का शव फंदे से लटका मिला.

सुसाइड नोट में क्या लिखा?

पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें लिखा था, 'श्री, मुझे माफ करना. मैं इन चींटियों के साथ अब और नहीं रह सकती. अन्वी का ख्याल रखना. अन्नावरम, तिरुपति –1,116. एल्लम्मा के चावल मत भूलना.' इस नोट से यह स्पष्ट हुआ कि महिला अत्यधिक भय और मानसिक तनाव में थी. जिसके वजह से उसने इतना बड़ा कदम उठाया.

घर वालों ने क्या बताया?

पुलिस ने बताया कि महिला की शादी 2022 में हुई थी और वह लंबे समय से इस भय से परेशान थी. परिजनों ने बताया कि वह अक्सर चींटियों को देखकर घबरा जाती थी और घर में सफाई करते समय उन्हें देखकर कांपने लगती थी. अनुमान है कि सफाई करते समय जब उसने चींटियां देखीं तो अचानक डर और बेचैनी में उसने यह चरम कदम उठा लिया.

प्रारंभिक जांच में क्या आया सामने?

अमीनपुर पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या मानसिक स्थिति से जुड़ी प्रतीत होती है, हालांकि विस्तृत जांच के बाद ही सटीक कारण सामने आएगा. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि फोबिया जैसी मानसिक स्थितियों का समय रहते इलाज जरूरी है, वरना यह जीवन के लिए घातक भी साबित हो सकती है. इसको लेकर समाज में लोगों को और पीड़ित के परिजनों को जगरुक होने की आवश्यकता है. जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके.

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