MeToo मामले में नाना पाटेकर को बड़ी राहत, कोर्ट ने तनुश्री दत्ता की याचिका को समय सीमा के कारण खारिज किया
तनुश्री दत्ता, जिन्होंने #MeToo आंदोलन के तहत नाना पाटेकर के खिलाफ अपने आरोपों के बारे में बात की थी, जिसने फिल्म इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया था. हॉलीवुड में शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही भारत में भी फेमस हो गया.
MeToo allegations: मुंबई की एक अदालत ने अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा अभिनेता नाना पाटेकर के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर ध्यान देने से मना कर दिया है. अदालत ने कहा कि शिकायत बहुत देर से, यानी तय समय सीमा के बाद दर्ज की गई थी.
'हॉर्न ओके प्लीज' के सेट पर
तनुश्री दत्ता ने 2018 में आरोप लगाया था कि नाना पाटेकर ने 2008 में फिल्म 'हॉर्न ओके प्लीज' के सेट पर उनके साथ गलत व्यवहार किया था. उन्होंने पाटेकर और तीन अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत ने कहा कि भारतीय कानून के हिसाब से शिकायत दर्ज कराने की एक समय सीमा होती है, और तनुश्री की शिकायत उस समय सीमा के बाद आई. भारतीय दंड संहिता के अनुसार, धारा 354 (गलत व्यवहार) और धारा 509 (महिला का अपमान) दोनों पर तीन साल की समय सीमा होती है. अदालत ने कहा कि समय सीमा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपराधों की जांच और कानूनी कार्रवाई जल्दी हो. अदालत ने यह भी कहा कि तनुश्री ने शिकायत में देरी का कोई सही कारण नहीं बताया.
2019 की पुलिस रिपोर्ट
पुलिस ने 2019 में एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी जांच में तनुश्री के दावों को सही साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला. पुलिस ने यह भी कहा था कि एफआईआर 'झूठी' थी. इस फैसले से तनुश्री दत्ता को बड़ा झटका लगा है, जो भारत में मीटू आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थीं. यह मामला भारतीय फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न और ऐसे आरोपों के आसपास की कानूनी जटिलताओं पर चल रही चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है.
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