Karur stampede case: 'कुछ गड़बड़ी हो रही है...', टीवीके प्रमुख विजय की रैली से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट से मांगा जवाब
करूर जिले के वेंगमेडु में टीवीके की पहली बड़ी रैली हुई थी. रैली में भारी भीड़ जमा हुई थी, लेकिन भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे. इसके बाद कई याचिकाएं मद्रास हाईकोर्ट में दायर की गईं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के करूर में हुई भगदड़ मामले की सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में केस की लिस्टिंग और सुनवाई के तरीके में 'कुछ गड़बड़' लग रही है. यह मामला सुपरस्टार विजय की पार्टी तमिलगा वेट्रि कज़गम (TVK) की रैली से जुड़ा है.
अप्रैल 2025 में करूर जिले के वेंगमेडु में टीवीके की पहली बड़ी रैली हुई थी. रैली में भारी भीड़ जमा हुई थी, लेकिन भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे. इसके बाद कई याचिकाएं मद्रास हाईकोर्ट में दायर की गईं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.
विजय की रैली से जुड़े मामले पर SC ने मद्रास हाईकोर्ट से मांगा जवाब
कोर्ट को मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की तरफ से एक रिपोर्ट मिली थी. रिपोर्ट पढ़ने के बाद जज हैरान रह गए. जस्टिस माहेश्वरी ने कहा- 'हाईकोर्ट में कुछ गलत हो रहा है. हमें इसकी जांच करनी होगी.' कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर दिया और उन्हें इस मामले में पक्षकार बना लिया. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि हाईकोर्ट में केस कब और कैसे लिस्ट किए जाते हैं, इसके नियम क्या हैं? कोर्ट ने साफ कहा कि वह मद्रास हाईकोर्ट के सारे नियम देखना चाहता है.
दरअसल करूर भगदड़ के बाद कई लोग हाईकोर्ट गए थे. कुछ याचिकाओं में टीवीके की रैली की अनुमति देने और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए गए थे. लेकिन कुछ लोगों का आरोप है कि हाईकोर्ट में इन मामलों को जल्दी-जल्दी निपटाया जा रहा है या कुछ खास बेंच के सामने भेजा जा रहा है. इसी शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया.
अब मद्रास हाईकोर्ट को दो हफ्ते में अपना जवाब देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह हाईकोर्ट की लिस्टिंग व्यवस्था में सुधार के लिए दिशा-निर्देश भी जारी कर सकता है. विजय की पार्टी टीवीके ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे बड़ा मुद्दा माना जा रहा है. आने वाले दिनों में यह मामला और गर्म हो सकता है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से साफ है कि वह किसी भी कोर्ट में पारदर्शिता और निष्पक्षता से समझौता नहीं होने देगा.