चीन में पुतिन से मुलाकात से एक दिन पहले पीएम मोदी ने जेलेंस्की से की फोन पर बात, जानें क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से फोन पर बातचीत कर भारत की ओर से यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है. यह वार्ता ऐसे समय हुई है जब मोदी चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाले हैं. इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच रूस से तेल खरीद को लेकर तनाव बढ़ गया है, क्योंकि अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लगा दिया है.
भारत इन दिनों अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के बेहद पेचीदा मोड़ पर खड़ा है. एक ओर रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने की कोशिशें जारी हैं, तो दूसरी ओर अमेरिका की नाराजगी और आर्थिक दबाव से निपटना भी चुनौती है. ऐसे माहौल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की बातचीत ने न केवल भारत की भूमिका को और अहम बना दिया है बल्कि यह भी दिखाया है कि नई दिल्ली शांति की बहाली के प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल है.
प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर हुई इस बातचीत में कहा कि भारत हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार है जिससे युद्ध प्रभावित इलाकों में शांति और स्थिरता लौट सके. उन्होंने मानवीय पहलुओं पर भी जोर दिया और कहा कि मासूम नागरिकों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए. मोदी ने एक्स पर लिखा 'आज राष्ट्रपति जेलेंस्की से सार्थक बातचीत हुई. हमने युद्ध, मानवीय संकट और शांति बहाली पर विचार साझा किए. भारत इस दिशा में हर प्रयास का पूरा समर्थन करेगा.'
पुतिन से मुलाकात से पहले अहम संदेश
यह वार्ता ऐसे समय हुई है जब पीएम मोदी चीन के तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं, जहां उनकी मुलाकात रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से तय है. साफ है कि मोदी ने जेलेंस्की से बात कर दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत सिर्फ रूस के साथ रिश्ते निभाने तक सीमित नहीं है, बल्कि शांति प्रक्रिया में सभी पक्षों से संवाद करना उसकी कूटनीतिक प्राथमिकता है.
भारत की रणनीतिक स्थिति
भारत लगातार यह स्पष्ट कर रहा है कि उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा है. नई दिल्ली का मानना है कि ऊर्जा की आपूर्ति किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है और इसे राजनीतिक दबाव का साधन नहीं बनाया जाना चाहिए. मोदी सरकार का प्रयास है कि वह रूस और अमेरिका दोनों से रिश्ते संतुलित रखे और साथ ही दुनिया को यह भरोसा दिलाए कि भारत शांति, स्थिरता और वैश्विक सहयोग का मजबूत स्तंभ है.
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