Sandeshkhali Violence: संदेशखाली मामले में अब क्यों हुई बाल आयोग की एंट्री? बंगाल में सियासी संग्राम के बीच कौन देगा 'शांति'संदेश?
Sandeshkhali Violence: बंगाल के संदेशखाली में हुई हिंसा को लेकर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. कई महिलाओं ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के नेता शाहजहां शेख पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. मामले को लेकर भाजपा, टीएमसी पर हमलावर है.
Sandeshkhali Violence: संदेशखाली हिंसा मामले में पश्चिम बंगाल बाल संरक्षण आयोग की एंट्री हो गई है. बाल संरक्षण आयोग की 6 सदस्यों की टीम आज सुबह संदेशखाली पहुंची. आयोग की टीम ने कहा कि हम गांव-गांव जाएंगे और स्थिति पर नजर रखेगी. 6 सदस्यों की टीम में राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तूलिका दास और सलाहकार सुदेशना रॉय भी शामिल हैं. फिलहाल, संदेशखाली में स्थिति को देखते हुए संदेशखाली में धारा 144 जारी की गई है.
दरअसल, महिलाओं पर अत्याचार को लेकर जब लोगों के समूह ने शिकायत की तो एक महिला की गोद से बच्चे को छीनकर जमीन पर फेंक देने की घटना सामने आई. इसके बाद पश्चिम बंगाल बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले को देखने का फैसला किया.
महिला आयोग की टीम भी पहुंची थी संदेशखाली
इससे पहले पश्चिम बंगाल महिला आयोग की टीम भी सोमवार को संदेशखाली पहुंची थी. उधर, संदेशखाली के हालात को लेकर भाजपा और कांग्रेस, लगातार टीएमसी पर हमलावर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने संदेशखाली जाने की कोशिश की लेकिन धारा 144 के कारण उन्हें जाने नहीं दिया गया. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि विपक्षी पार्टियां संदेशखाली का माहौल गर्म कर रही हैं, जिसके कारण वहां ऐसी स्थिति बनी है.
इससे पहले शुक्रवार को, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के चीफ अरुण हलदर ने कहा कि आयोग ने संदेशखाली में टीएमसी समर्थकों कीओर से महिलाओं के कथित उत्पीड़न पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी. NCSC के एक प्रतिनिधिमंडल ने संदेशखाली का दौरा किया था.
राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, हलदर ने कहा कि हमने सिफारिश की है कि अनुच्छेद 338 के तहत पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति के अधिकारों की रक्षा करना है.
टीएमसी का आरोप- विपक्ष ने संदेशखाली में पैदा की अशांति
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने भाजपा पर हिंसा प्रभावित संदेशखाली में अशांति पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं से सड़कों पर उतरकर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करने को कहा. मामले को लेकर टीएमसी की ओर से राज्यपाल पर भी निशाना साधा गया है.
टीएमसी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की ओर से उस स्थल का दौरा नहीं करने पर भी सवाल उठाया, जहां हाल ही में उत्तर दिनाजपुर जिले में बांग्लादेश की सीमा के पास खनन के दौरान जमीन धंसने से चार बच्चों की मौत हो गई थी. टीएमसी के मुताबिक, जब भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने गया तो वे 24 घंटे के भीतर संदेशखाली चले गए. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि इससे पता चलता है कि उनकी (राज्यपाल) प्राथमिकताएं कहां हैं.
भाजपा ने कहा- बंगाल में कायम है जंगलराज
टीएमसी की ओर से प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को लेकर भाजपा की ओर से तंज कसा गया है. भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जंगल राज कायम है. शाहनवाज ने कहा कि संदेशखाली की कई महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस नेता शाजहान शेख और उनके सहयोगियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बंगाल में कोई सरकार नहीं है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि इलाके में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया जा रहा है. हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे. हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे. उन्होंने कहा कि जनता लोकसभा चुनाव में इसका जवाब देगी. पश्चिम बंगाल में 'जंगलराज' है.
आखिर क्यों अशांत है संदेशखाली?
संदेशखाली इलाके में बड़ी संख्या में महिलाओं की ओर से तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जबरदस्ती जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाए जाने से तनाव व्याप्त है. शेख 5 जनवरी से फरार है. उस दौरान कथित राशन घोटाले के सिलसिले में उसके आवास पर छापेमारी के दौरान भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमला कर दिया था.
संदेशखाली में तनाव के कारण स्थिति गंभीर है. पीड़ित महिलाएं न्याय की मांग कर रही हैं. स्थिति को देखते हुए पूरे गांव में पुलिस को तैनात किया गया है. दो दिन पहले ही बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने संदेशखाली जाने की कोशिश की थी. पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया था. इसके बाद लाठीचार्ज भी हुई थी, जिसमें सुकांत मजूमदार घायल हो गए थे. इससे पहले भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी भी संदेशखाली जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया था.
संदेशखाली वास्तव में बंगाल में कहां है?
कोलकाता से लगभग 80 किमी दूर स्थित, संदेशखाली उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट में आता है. ये इलाका बांग्लादेश सीमा से सटा है. यहां अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं.
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