'पाकिस्तान, यूएई और बांग्लादेश से नफरत भरे संदेश', समीर वानखेड़े ने ऑर्यन खान की वेब सीरीज पर मुकदमे के बाद किया बड़ा दावा

Bads of Bollywood Dispute: वानखेड़े ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'मेरा निजी मानना ​​है कि इसका मेरी नौकरी या पेशे से कोई लेना-देना नहीं है. अपनी निजी हैसियत से, मैंने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है.

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Reepu Kumari

Bads of Bollywood Dispute: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े ने शनिवार को दावा किया कि आर्यन खान निर्देशित वेब सीरीज 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' को लेकर रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद उनके परिवार को पाकिस्तान, यूएई और बांग्लादेश से नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं.

वानखेड़े ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'मेरा निजी मानना ​​है कि इसका मेरी नौकरी या पेशे से कोई लेना-देना नहीं है. अपनी निजी हैसियत से, मैंने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है. मैं अदालती कार्यवाही या उससे जुड़े मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है.'

'यह मामला आत्म-सम्मान, व्यक्तिगत गरिमा...'

उन्होंने कहा कि यह मामला आत्म-सम्मान, व्यक्तिगत गरिमा और सम्मान का मामला है, तथा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन पर व्यंग्य या पैरोडी से न केवल उनका अपमान होता है, बल्कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ काम करने वालों का भी अपमान होता है.

वानखेड़े ने कहा कि उनके परिवार, जो उनके पेशेवर काम से जुड़े नहीं हैं, पर अनुचित रूप से असर पड़ा है. उन्होंने कहा, 'हम पुलिस को लगातार अपनी बहन और पत्नी को मिल रही धमकियों के बारे में सूचित करते रहे हैं. मैं यह स्वीकार नहीं करूँगा कि मेरी वजह से उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.'

सम्मन जारी

बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने वानखेड़े द्वारा दायर दीवानी मानहानि मुकदमे में रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य को सम्मन जारी किया. न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने अभिनेता शाहरुख खान और गौरी खान के स्वामित्व वाली रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और अन्य के खिलाफ वानखेड़े की याचिका पर सम्मन (नोटिस) जारी किया.

सात दिनों के भीतर मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और अन्य को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. इसके बाद याचिकाकर्ता को तीन दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है. अदालत ने याचिकाकर्ता से सभी प्रतिवादियों को याचिका की एक-एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा है. मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

अदालत ने याचिकाकर्ता को तत्काल कोई राहत देने से इनकार कर दिया और उन्हें 10 दिन बाद आने को कहा. 26 सितंबर को उच्च न्यायालय ने मानहानि के मुकदमे की सुनवाई की.