रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई करने पर भारत-चीन में दरार! ड्रैगन ने हिंदुस्तान के सामने रखी कठिन शर्त
दरअसल, चीन चाहता है कि रेयर अर्थ मिनरल्स का उपयोग सिर्फ घरेलु उपयोग के लिए हो, न कि हथियार निर्माण में. आपको बता दें कि दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स के कुल उत्पादन में चीन की 90 फीसदी हिस्सेदारी है और यही कारण है कि इसका सप्लाई चीन अपनी नियमों और शर्तों के साथ करना चाहता है.
Rare Earth Minerals: दुनिया भर में रेयर अर्थ मिनरल्स के बढ़ते डिमांड के बीच अब चीन ने भारत से एक बड़ी डिमांड कर दी है. दरअसल, भारत को रेयर अर्थ मिनरल्स का सप्लाई करने को चीन तैयार है, लेकिन शर्त यह है कि अमेरिका को इसका एक्सपोर्ट न किया जाए. चीन ने भारत से इस बाबत गारंटी भी मांगी है, वो भी लिखित रूप में. हालांकि, भारतीय कंपनियां पहले ही इस बात का आश्वासन दे चुकी हैं कि वे चीन से मिलने वाले रेयर अर्थ मिनरल्स का इस्तेमाल व्यापक जनसंहार के हथियार बनाने में नहीं करेगी.
दरअसल, चीन चाहता है कि रेयर अर्थ मिनरल्स का उपयोग सिर्फ घरेलु उपयोग के लिए हो, न कि हथियार निर्माण में. आपको बता दें कि दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स के कुल उत्पादन में चीन की 90 फीसदी हिस्सेदारी है और यही कारण है कि इसका सप्लाई चीन अपनी नियमों और शर्तों के साथ करना चाहता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने लास्ट यूजर्स सर्टिफिकेट जमा कर दिए हैं, जिनमें कहा गया है कि इन मिनरल्स का इस्तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों में नहीं किया जाएगा. हालांकि चीन निर्यात को लेकर और आश्वासन की मांग कर रहा है.
चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से टैरिफ को लेकर तनातनी जारी
दरअसल चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से टैरिफ को लेकर तनातनी चल रही है. अमेरिकी सांसदों ने 9 अक्टूबर को चीन को चिप बनाने वाले इक्विपमेंट्स के निर्यात पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की मांग की. इसके जवाब में चीन ने भी अपना रुख सख्त किया. इस साल अप्रैल में चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई रोक दी थी. इससे दुनियाभर में इसकी कमी हो गई थी. फिर यूरोप और अमेरिका के साथ बातचीत के बाद इसने सप्लाई शुरू की.
इंडिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग में होता है इस्तेमाल
आपको बता दें कि इंडिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग में रियर अर्थ मिनरल्स का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन, एयरोस्पेस और डिफेंड इंडस्ट्री में भी इनका इ्स्तेमाल होता है. चीन ने अप्रैल में रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई के नियमों को सख्त कर दिया था. इसके बाद एक्सपोर्टर्स को इसके सप्लाई से पहले कॉमर्स मिनिस्ट्री का एप्रूवल लेना पड़ता है. इंपोर्टर्स को भी यह बताना पड़ता है कि वह इनका इस्तेमाल कहां करेगा.
खदान से निकालना मुश्किल, इसीलिए 'दुर्लभ' कहा जाता है
बता दें कि रेयर अर्थ मिनरल्स, 17 रासायनिक तत्वों का एक समूह हैं. इनमें आवर्त सारणी के 15 लैंथेनाइड्स के साथ-साथ स्कैंडियम और येट्रियम शामिल हैं. इन्हें 'दुर्लभ' इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें आर्थिक रूप से लाभदायक सांद्रता में खदान से निकालना मुश्किल होता है, न कि इसलिए कि ये बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं. रेयर अर्थ मिनरल्स का वैश्विक बाज़ार में बहुत महत्व है, और चीन इसका सबसे बड़ा उत्पादक है. हालाँकि, इन खनिजों का बाज़ार भू-राजनीतिक कारणों से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई देश इन पर चीन की निर्भरता कम करना चाहते हैं.
और पढ़ें
- UK PM India Visit: "खालिस्तानियों के खिलाफ .......", ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से पीएम मोदी ने कर दी ये बड़ी डिमांड
- सुप्रीम कोर्ट में हुए 'जूता कांड' पर CJI बीआर गवई ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा?
- IAF Roasts Pak: एयरफोर्स ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान के जख्मों पर छिड़का नमक, देखें वर्षगांठ पर कैसे की इंटरनेशनल बेइज्जती?