राष्ट्रपति भवन में पुतिन के साथ डिनर करने को लेकर क्या बोले शशि थरूर?
राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राज्य भोज को शशि थरूर ने गर्मजोशी भरा बताया. उनके सकारात्मक अनुभव के बीच कांग्रेस ने विपक्षी नेताओं को निमंत्रण न मिलने पर नाराजगी जताई.
नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के अंतिम दिन राष्ट्रपति भवन में शानदार राज्य भोज हुआ, जिसने राजनीतिक हलकों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं पैदा कर दीं.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस भोज को सौहार्दपूर्ण और संवादपूर्ण बताया, वहीं पार्टी नेतृत्व इस बात से असंतुष्ट रहा कि दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित नहीं किया गया. एक ओर राजनयिक गर्मजोशी के संदेश थे, तो दूसरी ओर प्रोटोकॉल पर सवाल उठते रहे.
शशि थरूर ने बताया ‘गर्मजोशी भरी शाम’
शशि थरूर ने राष्ट्रपति भवन में हुए भोज के माहौल को बेहद आत्मीय बताया. उन्होंने लिखा कि रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी बातचीत दिलचस्प रही और शाम सकारात्मक चर्चाओं से भरी थी. थरूर का यह निजी अनुभव ऐसे समय में आया, जब उनकी पार्टी इस आयोजन को लेकर नाराजगी जता रही थी.
25 साल की रणनीतिक साझेदारी पर राष्ट्रपति मुर्मू का जोर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने स्वागत भाषण में भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि यह संबंध पुतिन की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से लगातार मजबूत हुआ है. पुतिन ने भी इस यात्रा में अपनाए गए नए घोषणापत्र को द्विपक्षीय रिश्तों के लिए 'नई ऊर्जा' देने वाला बताया.
कांग्रेस की नाराजगी 'दोनों LOP को क्यों नहीं बुलाया?'
भोज के माहौल की सकारात्मकता के बावजूद कांग्रेस का आधिकारिक रुख नाराजगी से भरा रहा. पार्टी ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को आमंत्रित न करना प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार पर 'जानबूझकर नियम तोड़ने' का आरोप लगाया.
थरूर की मौजूदगी पर उठे सवाल
जब पूछा गया कि थरूर को कैसे बुलाया गया, तो कांग्रेस नेताओं ने तीखी टिप्पणी की. पवन खेड़ा ने कहा कि अगर पार्टी नेतृत्व को बुलावा न मिले और पार्टी का कोई नेता आमंत्रण स्वीकार करे, तो यह 'अंतर्मन से पूछने का विषय' है. कांग्रेस ने इसे राजनीति से प्रेरित निर्णय बताया.
राहुल गांधी ने सरकार पर लगाया 'असुरक्षा' का आरोप
भोज से पहले ही राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार विदेशी नेताओं को विपक्ष से मिलने से रोकती है. उन्होंने इसे सरकार की 'असुरक्षा' बताया. यह बयान पुतिन की यात्रा से ठीक पहले आया और कार्यक्रम को राजनीतिक रंग दे गया. इन आरोपों के बीच थरूर के सराहनीय अनुभव ने कांग्रेस के भीतर विपरीत सुर और तेज कर दिए.