पुणे में पिछले साल हुए चर्चित पोर्श कार हादसे में एक नया मोड़ आया है. मंगलवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड) ने फैसला सुनाया कि इस मामले के मुख्य आरोपी, 17 वर्षीय नाबालिग को प्रौढ़ के रूप में नहीं, बल्कि नाबालिग के रूप में ही सुनवाई का सामना करना होगा. पुणे पुलिस ने इस नाबालिग जिसे 'चाइल्ड इन कॉन्फ्लिक्ट विद लॉ' (सीसीएल) के रूप में संदर्भित किया गया है को वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की याचिका दायर की थी, लेकिन जेजे बोर्ड ने इसे खारिज कर दिया. इस हादसे ने पिछले साल देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं, जब 19 मई 2024 को पुणे के कल्याणी नगर क्षेत्र में एक नशे में धुत नाबालिग ने अपने पिता की इलेक्ट्रिक सुपरकार से दो लोगों को कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
यह दिल दहला देने वाला हादसा 19 मई 2024 की सुबह पुणे के कल्याणी नगर में हुआ था. 17 वर्षीय नाबालिग, जो कथित तौर पर नशे की हालत में अपने पिता की 2.5 करोड़ रुपये की पोर्श टायकन कार चला रहा था ने तेज रफ्तार में एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. इस टक्कर में दो आईटी पेशेवरों,अनीश अवधिया और उनकी दोस्त अश्विनी कोष्टा, दोनों 24 वर्षीय और मध्य प्रदेश के निवासी की मौके पर ही मौत हो गई. हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने आरोपी को कार से निकाला और पुलिस के हवाले किया. इस घटना ने न केवल पुणे, बल्कि पूरे देश में आक्रोश पैदा किया, क्योंकि शुरुआत में नाबालिग को जेजे बोर्ड ने महज 15 घंटे में जमानत दे दी थी, जिसमें उसे 300 शब्दों का सड़क सुरक्षा पर निबंध लिखने जैसी हल्की शर्तें शामिल थीं.
जेजे बोर्ड का फैसला और पुलिस की याचिका
पुणे पुलिस ने इस हादसे को 'जघन्य' बताया और तर्क दिया कि नाबालिग ने न केवल दो लोगों की जान ली, बल्कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश भी की. पुलिस ने जेजे बोर्ड से मांग की थी कि नाबालिग को वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाए, क्योंकि वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) और 467 (जालसाजी) के तहत आरोपी है, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं. हालांकि, जेजे बोर्ड ने मंगलवार को पुलिस की इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपी को नाबालिग के रूप में ही सुनवाई का सामना करना होगा.
दुर्घटना के कुछ घंटों बाद ही आरोपी को जमानत
पिछले साल 19 मई को हुए हादसे के कुछ ही घंटों बाद आरोपी किशोर को जमानत मिल गई. हल्की शर्तों, जिसमें नाबालिग से सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा गया. इसके बाद देश में में बवाल मचा दिया था, जिसके बाद उसे तीन दिन बाद पुणे शहर के एक सुधार गृह में भेज दिया गया था.