किसानों की मांगों, खासकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर शुक्रवार को चंडीगढ़ में सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक हुई. यह बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुई और अब अगली वार्ता 22 फरवरी को होगी. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के नेतृत्व में सरकार की ओर से प्रतिनिधि शामिल हुए, वहीं किसानों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया. बैठक में पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डिया, राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारुचक और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.
बैठक में सरकार ने किसानों को बताया कि मोदी सरकार ने अब तक किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं. किसानों की मांगों पर भी विस्तार से चर्चा हुई, जिसमें मुख्य रूप से एमएसपी की कानूनी गारंटी का मुद्दा शामिल था. इसके अलावा, दलहन और तिलहन से जुड़ी समस्याओं पर भी विचार किया गया.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पिछले साल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं, बैठक में शामिल हुए. किसान नेताओं ने बैठक को सकारात्मक बताया और कहा कि सरकार को एमएसपी को कानूनी रूप से अनिवार्य करना चाहिए. उनका मानना है कि इससे देश के हर वर्ग को लाभ होगा.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि अगली बैठक 22 फरवरी को होगी, जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होंगे. सरकार को उम्मीद है कि इस बैठक में कोई ठोस समाधान निकल सकता है.
बैठक को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों को एक साल बाद बातचीत का समय दिया गया, जिससे यह साफ हो जाता है कि वे पंजाबियों से कितना प्यार करते हैं. उन्होंने कहा कि किसान चाहे भूख हड़ताल पर रहें या कठिनाइयों का सामना करें, केंद्र सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
एमएसपी की कानूनी गारंटी- किसान चाहते हैं कि सरकार एमएसपी को कानूनन अनिवार्य करे.
कृषि सुधार- किसानों को बेहतर सुविधाएं और सरकारी सहायता मिले.
अन्य फसलों पर भी ध्यान- दलहन और तिलहन जैसी फसलों को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए.
22 फरवरी को होने वाली बैठक के नतीजे पर सभी की नजरें टिकी हैं. किसान संगठनों को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम उठाएगी. वहीं, सरकार भी किसानों को संतुष्ट करने के प्रयास में है ताकि आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जा सके.