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India Daily

Operation sindoor: गोल्डन टेम्पल में नहीं तैनात की गई थी कोई एयर डिफेंस गन, सेना ने किया साफ

भारतीय सेना ने सोमवार को उन मीडिया रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया था कि अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर परिसर में वायु रक्षा तोपें तैनात की गई थीं.

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Edited By: Garima Singh
Golden Temple
Courtesy: X

Operation Sindoor: भारतीय सेना ने सोमवार को उन मीडिया रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया था कि अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर परिसर में वायु रक्षा तोपें तैनात की गई थीं. सेना ने स्पष्ट किया कि श्री दरबार साहिब में न तो कोई एडी तोपें तैनात की गई थीं और न ही कोई संबंधित संसाधन वहां मौजूद थे. यह बयान उस विवाद के जवाब में आया, जो सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के दावों के बाद शुरू हुआ, जिसने सिख समुदाय के सबसे पवित्र तीर्थस्थल को लेकर संवेदनशीलता को उजागर किया. 

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में लेफ्टिनेंट जनरल डी'कुन्हा ने दावा किया कि, 'स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने पाकिस्तान से आने वाले ड्रोनों का पता लगाने और उनसे निपटने के लिए सेना को मंदिर परिसर में वायु रक्षा तोपें तैनात करने की अनुमति दी थी. उन्होंने कहा, "यह बहुत अच्छा था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें अपनी बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी. यह संभवतः कई वर्षों में पहली बार है कि उन्होंने स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद कर दीं ताकि हम ड्रोन को आते हुए देख सकें.'
डी'कुन्हा ने आगे बताया कि सेना ने पाकिस्तान के संभावित इरादों को भांप लिया था. उन्होंने कहा, "सौभाग्य से, हमने कल्पना की कि वे (पाकिस्तान) क्या करने में सक्षम थे. यह महसूस करते हुए कि वे इसे निशाना बनाएंगे क्योंकि उनके पास सीमा पार कोई वैध लक्ष्य नहीं था. वे आंतरिक रूप से भ्रम, अराजकता पैदा करने में अधिक रुचि रखते थे, और इसलिए, हमने कल्पना की कि वे हमारी नागरिक आबादी और हमारे धार्मिक पूजा स्थलों को निशाना बनाएंगे."

मुख्य ग्रंथी का खंडन

मंगलवार को स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया. उन्होंने सेना के बयानों को "प्रचार" करार देते हुए कहा, "किसी भी सेना अधिकारी ने मुझसे संपर्क नहीं किया. किसी भी बंदूक की तैनाती के बारे में कोई बातचीत नहीं हुई, न ही श्री दरबार साहिब में ऐसी कोई घटना हुई. मैं 22 दिनों के लिए अमेरिका में छुट्टी पर था. मैं 24 अप्रैल को गया था और 14 मई को लौटा. संघर्ष मेरे जाने के बाद शुरू हुआ और मेरे लौटने से पहले ही समाप्त हो गया." ज्ञानी रघबीर सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) से इस मामले की गहन जांच करने और यदि कोई एसजीपीसी सदस्य इसमें शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की.