Manipur journalist Kidnapping Case: मणिपुर के पत्रकार का ‘अपहरण’, सशस्त्र समूह से माफी मांगने के बाद किया गया रिहा
लाबा ने सोमवार को राज्य की राजनीतिक स्थिति पर मीडिया से बातचीत की थी. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद के हालात पर टिप्पणी की थी, जिसमें एक प्रतिबंधित संगठन को ‘आत्मसमर्पण करने वाला समूह’ कहने के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ.
Manipur Journalist Case: मणिपुर में एक वरिष्ठ पत्रकार याम्बेम लाबा को मंगलवार की सुबह हथियारबंद एक सशस्त्र समूह ने उनके घर से कथित तौर पर अपहृत कर लिया था.
हालांकि, लाबा ने एक प्रतिबंधित संगठन को आत्मसमर्पण करने वाला समूह कहने के लिए खेद जताया, जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.
अगवा किए गए पत्रकार की माफी और रिहाई
सूत्रों के अनुसार, याम्बेम लाबा को उनके घर से अगवा किया गया था और उन्हें कुछ समय तक एक अज्ञात स्थान पर रखा गया. लाबा ने सोमवार को राज्य की राजनीतिक स्थिति पर मीडिया से बातचीत की थी. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद के हालात पर टिप्पणी की थी, जिसमें एक प्रतिबंधित संगठन को ‘आत्मसमर्पण करने वाला समूह’ कहने के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ. इसके बाद इस संगठन के सदस्यों ने लाबा को अगवा कर लिया और उनसे माफी की मांग की.
मीडिया से बातचीत का असर
लाबा ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी संगठन की बेइज्जती करना नहीं था, बल्कि राज्य की स्थिति पर अपनी चिंता जताना था. माफी मांगने के बाद उन्हें सशस्त्र समूह ने रिहा कर दिया. यह घटना मणिपुर में पत्रकारों और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है.
मणिपुर में सुरक्षा और राजनीतिक संकट
राज्य में चल रहे राजनीतिक संकट और बढ़ते हुए अस्थिरता के बीच यह घटना सुरक्षा की स्थिति पर चिंता को और बढ़ाती है. मणिपुर में पत्रकारों के प्रति इस तरह के हमले पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न करते हैं.
मणिपुर में इस प्रकार की घटनाएं पत्रकारों और उनके परिवारों के लिए भय और असुरक्षा का कारण बन रही हैं. हालांकि, लाबा की रिहाई ने मीडिया और राजनीतिक नेताओं से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया प्राप्त की है, जो राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा की आवश्यकता को और महत्वपूर्ण बना देती है.